तेजस्वी ने कहा नीतीश ने शिक्षा व्यस्था को जहर दे कर कत्ल और दो पीढ़ियों को बर्बाद किया
विपक्ष के तेवर से साफ लग रहा है कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के खिलाफ वह जनमानस तैयार करने में जुटा है. इस संबंध में तेजस्वी ने नीतीश पर हमला बोलते हुए कहा है कि उन्होंने 15 वर्षों में मीठा ज़हर देकर शिक्षा व्यवस्था का निर्ममता से क़त्ल किया है।
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तेजस्वी का बदहाल शिक्ष पर नीतीश को खरी-खरी
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शिक्षा के मुद्दे पर विपक्ष के तेवर सख्त
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हाल ही में उपेंद्र कुशवाहा ने इसी मुद्दे पर किया था अनशन
तेजस्वी यादव ने आज बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर नीतीश कुमार के खिलाफ जबर्दस्त हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि नीतीश जी ने स्कूलो और विश्वविद्यालयों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा समाप्त कर, इन्हें खंडहर में तब्दील कर के दो पीढ़ियों का अपूर्णीय नुक़सान किया है। तेजस्वी ने कहा कि दो पीढ़ियों के भविष्य को बर्बाद कर उनके जीवन को अंधेरे कुँए में धकेलने वाले CM को इस आपराधिक कृत्य के लिए छात्र और युवा माफ़ नहीं करेंगे।
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नीतीश जी ने स्कूलो और विश्वविद्यालयों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा समाप्त कर, इन्हें खंडहर में तब्दील कर दो पीढ़ियों का अपूरणीय नुक़सान किया है।
दो पीढ़ियों के भविष्य को बर्बाद कर उनके जीवन को अंधेरे कुँए में धकेलने वाले CM को इस आपराधिक कृत्य के लिए छात्र और युवा माफ़ नहीं करेंगे।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 2, 2019
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एक अन्य ट्विट में तेजस्वी ने अपना हमला जारी रखते हुए आम लोगों से पूछा है कि “क्या आप जानते है नीतीश सरकार के निक्कमेपन के कारण बिहार में ग्रैजुएशन करने में 6-8 वर्ष और पोस्ट ग्रैजुएशन करने में 4-6 वर्ष लगते है”?
तेजस्वी यहीं नहीं रुके. उन्होंने नीतीश पर निशाना साधते हुए यहां तक कहा कि ” आत्ममुग्ध नीतीश कुमार जी ने विगत 15 वर्ष में मीठा ज़हर देकर बिहार की शिक्षा व्यवस्था का निर्ममता से क़त्ल किया है”।
काबिले जिक्र है कि नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता में आने के बाद प्राथमिक विद्यालों में संविदा पर लाखों शिक्षकों की नियुक्ति की योजना शुरू की थी और नियुक्ति का अधिकार मुख्या को सौंप दिया था जिसके कारण लोगों ने भारी आलोचना की थी क्योंकि मुखिया शिक्षकों की योग्यता का निर्धारण करने के योग्य कैसे हो सकते हैं. नीतीजा यह हुआ था कि बड़े पैमाने पर नियुक्ति में भ्रष्टाचार उजागर हुआ था. आगे के वर्षों में मीडिया में खबरें आने लगी थीं कि कई शिक्षकों को खुद पहाडा नहीं याद है. कुछ तो ऐसे हैं कि जिन्हें देश के राष्ट्रपति का नाम तक मालून नहीं. कई शिक्षक तो ऐसे भी निुक्त हो गये थे जिन्हें मातृ भाषा में कुछ पंक्तियां लिख सकें.
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तेजस्वी द्वारा नीतीश सरकार पर किये गये प्रहार का आधार भी यही माना जाता है क्योंकि पिछले पंद्रह वर्षों में ऐसी दो पीढ़ियां निकल चुकी हैं जिन्होंने लाखों छात्रों के भविष्य को अंधकार में डाल दिया है.
ऐसा माना जा रहा है कि पिछले दिनों उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय विद्यालय के लिए जमीन देने के मामले में आमरण अनशन किया था उसके बाद विपक्ष ने यह तय कर लिया है कि बिहार की बदहाल शिक्षा व्यस्था पर आम जन को जागरूक किया जाये.