#तेजस्वी_सहारा_है ट्विटर पर जोरदार तरीके टॉप ट्रेंड कर गया. रविवार को हजारों की तादाद में लोगों ने इस हैशटैग को ट्विट और रिट्विट किया.
एक तरफ सत्ताधारी पार्टी और राजद के बीच कोरोना के मामले में बयानबाजियों का दौर पिछले कुछ दिनों से जारी है वहीं ट्विटर पर बड़ी संख्या में लोग तेजस्वी के समर्थन में कूद पड़े हैं और तेजस्वी सहारा है के हैशटैग से ट्विट कर रहे हैं.
दर असल मेनस्ट्रीम मीडिया का एक वर्ग और सत्ताधारी दल के नेता तेजस्वी को इस बात के लिए घेर रहे हैं कि बिहार में संकट आया है तो तेजस्वी बिहार से बाहर हैं. इस पर तेजस्वी यादव ने एक चैनल के ऐंकर से पूछा था कि क्या आप को पता था कि देश में लॉकडाउन की घोषणा होने वाली है.
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और फिर लाकडाउन में हम खुद फंसे हुएं है. ऐसे में तेजस्वी के समर्थकों का कहना है कि निजी और संगठन के स्तर पर तेजस्वी ने जितना काम इस दौरान किया उतना किसी नेता ने नहीं किया.
कोरोना संकट काल में बिहार से बाहर के राज्यों में 25 लाख से ज्यादा बिहारी कामगार फंसे थे. ये खान-पानी के लिए तरस रहे थे. इनमें से एक बड़ी तादाद ऐसे लोगों को थी जो सोशल मीडिया के माध्यम से तेजस्वी से मदद की गुहार लगा रहे थे.
इधर तेजस्वी यादव की टीम लगातार फंसे हुए लोगों और संबंधित राज्यों की सरकार और वहां के स्थानीय प्रभावशाली लोगों से उनकी मदद भी करवाते रहे.
लोगों के संकट मोचक
इस तरह तेजस्वी यादव ने- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल समेत अन्य राज्यों में फंसे हजारों बिहारी कामगारों की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मदद की. तेजस्वी की इस मददगार छवि ने कामगारों, जिन्हें तेजस्वी ‘श्रमवीर’ कहके बुलाते हैं, में एक संकटमोचक की इमेज बनी.
कोरोना संकट के बाद तेजस्वी यादव ने न सिर्फ संगठन के स्तर पर बल्कि निजी स्तर पर भी योगदान किया. उन्होंने अपने मौजूदा विधायक के रूप में बचे कार्यकाल में हर महीने आधी तन्ख्वाह कोरना फंड में देने का ऐलान किया.
इतना ही नहीं ट्विटर यूजर्स ने इस बात का भी जोरदार तरीके से उल्लेख किया है कि जब बिहार सरकार कोटा में फंसे हजारों छात्रों और विभिन्न प्रदेशो में फंसे लाखों मजदूरों को बिहार लाने से मना कर चुकी थी तो तेजस्वी उन लोगों के लिए एक मात्र सहारा बन कर उभरे थे. तब तेजस्वी ने राज्यसराकर और केंद्र सरकार पर दबाव बनाया कि बिहारियों को उनके घर आने में मदद की जाये.