राजद नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आज कहा कि नीतीश कुमार को जदयू में संभावित टूट का पूर्ण अंदेशा हो गया है, इसलिए टूट रोकने के लिए अब पलटी मारने के बाद कह रहे हैं कि विधानसभा चुनाव तय समय पर होंगे. तेजस्वी ने सोशल मीडिया के जरिये कहा कि मुख्यमंत्री एक तरफ़ लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने का राग अलापते हैं तो दूसरी तरफ़ कहते हैं कि चुनाव साथ-साथ नहीं होगा.
नौकरशाही डेस्क
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की राजनीति विरोधाभास से परिपूर्ण है. मुख्यमंत्री ऐसे जुगतपुरुष है जो दो घंटे पहले अपनी ही कही बात पर बहाने लगाकर ऐसे पलट जाते है कि उनके बहानों पर बहाने भी शरमा जाए. नीतीश कुमार को जदयू में संभावित टूट का पूर्ण अंदेशा हो गया है इसलिए टूट रोकने के लिए अब पलटी मारने के बाद कह रहे है की विधानसभा चुनाव तय समय पर होंगे.
तेजस्वी ने मुख्यमंत्री से पूछा कि वो क्या चाहते हैं स्पष्ट करें. क्यों गोल-मोल बातें कर रहे हैं? नीतीश कुमार कुछ भी तर्क प्रस्तुत करें, लेकिन यह यथार्थ है कि उनकी पार्टी में जनादेश की लूट के बाद एक अजीब घुटन और परेशानी है. निर्वाचित विधायकों को कार्यकाल पूर्ण नहीं करने का डर है, तो साथ ही साथ हर बार एक नए गठबंधन में अपनी सीट खोने का. जदयू के राजनीतिक उत्तराधिकारी दावा कर रहे थे कि राजद में टूट होगी, लेकिन वो अबतक किसी पंचायत स्तर के पदाधिकारी को भी नहीं तोड़ पाए.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की कथनी और करनी के फ़र्क़ को पूरा देश जान चुका है. अब उन्हें आत्मचिंतन बाद कुर्सी प्रेम छोड़ अपनी राजनीति संभावित उतराधिकारी को सौंप देनी चाहिए, क्योंकि वो भी आजकल उनको रिप्लेस करने लिए ज़्यादा ही व्याकुल है.
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव के निशाने पर इन दिनों लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। बीते 27 जनवरी को भी उन्होंने नंदन गांव के बहाने नीतीश कुमार पर जमकर वार किया था और लिखा था कि नदंन गाँव घटना में 102 नामजद और करीब 700 अज्ञात अभियुक्त बनाए गए. 29 महादलितों को गिरफ़्तार किया गया, जिसमें 10 महिलायें शामिल हैं. इन गरीब निर्दोष महिलाओं के छोटे-छोटे बच्चों को अपनी मांओ की गैर-मौजूदगी में ठीक से रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है. मकर संक्रान्ति से सब बच्चे भूखे है.
उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कहने पर अनुसूचित जाति के चार लोग बीरेन्द्र पासवान, विनय राम, इन्द्रजीत राम व लूटनराम विदेश में नौकरी करते हैं. उनका नाम भी FIR में शामिल हुआ. आश्चर्य है विजय राम जो 2015 में ही स्वर्ग सिधार गए, वो भी नामज़द अभियुक्त है. यह है नीतीश का न्याय के साथ विकास. नीतीश कुमार किस नैतिकता की दुहाई देते है.लगता है उनकी नैतिकता का रंग गहरा काला है और वो काले अंधेरे में ही अपनी उस नैतिकता से रूबरू होते है. इस पद पर बैठा व्यक्ति कैसे सरेआम दिन-दहाड़े बिहारवासियों को झूठ बोलकर गुमराह करने साहस जुटा पाता है? लगता है अंतरात्मा मलीन हो गई है.