‘ठाकुर का कुआं’ पर RJD में अकेले पड़े चेतन आनंद, समर्थन में BJP
‘ठाकुर का कुआं’ पर RJD में अकेले पड़े चेतन आनंद, पक्ष में उतरी BJP। राजद विधायक ने सासंद मनोज झा के राज्यसभा में दिए भाषण को जाति का अपमान कहा था।
राजद सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान ओमप्रकाश वाल्मीकि की चर्चित कविता ‘ठाकुर का कुआं’ का पाठ किया था। कविता में ठाकुर शब्द किसी जाति विशेष के लिए नहीं कहा गया है, बल्कि सभी जाति के दबंगों, सामंतों के खिलाफ बिंब के रूप में उपयोग किया गया है। इस कविता के पाठ को आनंद मोहन के बेटे राजद विधायक चेतन आनंद ने राजपूत समाज का अपमान कहा और मनोज झा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके बाद राजद के कई नेेेताओं ने कहा कि वह कविता सामंतवाद के खिलाफ है। जिन्हें समझ नहीं आया, वे दुबारा सुन लें। चेतन आनंद पार्टी में अकेले पड़ गए हैं। इस बीच भाजपा के कई नेता चेतन आनंद के पक्ष में उतर गए हैं। भाजपा विधायक नीरज बबलू ने मनोज झा पर हमला बोला।
मा. राज्यसभा सांसद प्रो.@manojkjhadu जी के द्वारा विशेष सत्र के दौरान दिया गया शानदार भाषण पर बेचैन होने वाले लोगों को एक बार में समझ में नहीं आए तो दो बार, चार बार भाषण को सुन लेना चाहिए। फिर अनर्गल बयानबाजी करना चाहिए। pic.twitter.com/pLS0nro10V
— Arun Kumar Yadav (@Arunrjd) September 27, 2023
राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि अतीत में जो हालात और दबंगई-अधिनायकवाद था उसके खिलाफ जो कविता थी उसका पाठ किया था। ठाकुर को जाति से कैसे जोड़ सकते है, ठाकुर तो कर्पूरी ठाकुर भी थे। तेजस्वी यादव चीजों को देख रहे है। उन्होंने भाजपा विधायक नीरज बबलू को कहा कि सीमा में रहें, ये बिहार है।
मनोज झा के समर्थन में उतरा RJD
— FirstBiharJharkhand (@firstbiharnews) September 27, 2023
RJD प्रवक्ता शक्ति यादव का बयान
"अतीत में जो हालात और दबंगई-अधिनायकवाद था उसके खिलाफ जो कविता थी उसका पाठ किया था"
"ठाकुर को जात से कैसे जोड़ सकते है,ठाकुर तो कर्पूरी ठाकुर भी थे"
"तेजस्वी जी चीजों को देख रहे है"
"नीरज बब्लू सीमा में रहे, ये बिहार… pic.twitter.com/J6AxGETanq
कभी नीतीश कुमार के करीबी रह चुके प्रगतिशील विचारों वाले सामाजिक कार्यकर्ता शैलेंद्र प्रताप ने लंबा ट्वीट किया है। कहा-अफवाह उड़ी कि कौआ कान ले गया। कुछ लोग कौअे को मारने दौड़ पड़े, उनमें से किसी ने कान देख लेने की तकलीफ नहीं उठाई। यही हो रहा है आजकल। व्हाट्सएप पर कुछ पढ़ लिया, फेसबुक पर कुछ देख लिया, ट्विटर पर कुछ नजर में आ गया… उठा लिया डंडा और झंडा, कूद पड़े ऐसे जैसे सबकुछ इन्हें पता ही हो। संसद के विशेष सत्र के दौरान माननीय राज्यसभा सांसद श्री मनोज झा जी ने अपने बयान के दौरान एक कविता सुनाई, जो ओमप्रकाश वाल्मीकि की लिखी हुई। कविता में ठाकुर शब्द का जिक्र है, जिसको लेकर अचानक कुछ क्षत्रियों की भावना आहत हो गई है। लेकिन जिनकी भावना आहत हो गई है, उन्होंने न तो मनोज झा जी का पूरा वक्तव्य सुना, न संसद की कार्यवाही देखी और न ही इसे समझने का प्रयास किया। कविता की शुरुआत से पहले ही मनोज झा कहते हैं कि “इसमें जो प्रतीक हैं, वो किसी जाति विशेष के लिए नहीं हैं। क्योंकि हम सब के अंदर एक ठाकुर है। जो न्यायालयों में बैठा हुआ है, विश्वविद्यालयों में बैठा हुआ है, संसद की दहलीज पर बैठा है।” कविता समाप्त करते ही मनोज झा जी ने स्पष्ट कहा है कि “वो ठाकुर मैं भी हूं, वो ठाकुर संसद में है, वो संसद में है, वो विधायिका को कंट्रोल करता है, इस ठाकुर को मारो”।
राजद प्रवक्ता अरुण कुमार यादव ने कहा कि राज्यसभा सांसद प्रो. @manojkjhadu द्वारा विशेष सत्र के दौरान दिया गया शानदार भाषण पर बेचैन होने वाले लोगों को एक बार में समझ में नहीं आए तो दो बार, चार बार भाषण को सुन लेना चाहिए। फिर अनर्गल बयानबाजी करना चाहिए।