विश्व विजेता होने का मतलब

विश्व विजेता इंग्लैंड ने दुनिया को सिखा दिया कि विभिन्न धर्म व नस्लों की साझी ताकत कैसी होती है

विश्व विजेता होने का मतलब

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

क्रिकेट विश्वकप जीत कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करने वाली इंग्लैंड क्रिकेट टीम की एक खूबी काफी चर्चा बटोर रही है. इस टीम में जहां गोरे, काले, मुस्लिम, ईसाई खिलाड़ियों का गुलदश्ता है वहीं जीत के बाद कैप्ट ईयन मोर्गन का यह कथन भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है कि उनके साथ अल्लाह की खास मदद थी.

आप को याद दिला दें कि विश्व क्रिकेट के इतिहास में ऐसा बिरले ही हुआ हो जब दोनों कम्पिटीटर्स टीम ने बराबर ( 241-241) रंज  बनाये. फिर एक्ट्रा अवर में दोनों ने बराबर रंज यानी 15-15 रंज स्कोर किये. लेकिन जीत इंग्लैंड की मानी गयी क्योंकि उसकी किस्मत में ज्यादह बाउंड्री थी.

अल्लाह हमारे साथ था-कैप्टन ने कहा

इंग्लैंड की टीम वैसे पूरे टूर्नामेंट में अच्छा खेली. इस टीम की एक खासियत यह थी कि अंग्रेजों की इस टीम में अनेक नस्ल, रंग और मजहब के खिलाड़ी हैं. इन खिलाड़ियों में एक दूसरे के रंग,नस्ल व मजहब के प्रति बराबर का सम्मान है. जब इंग्लैंड की टीम जीत के जश्न के लिए शैम्पेन की बोतल के फ्व्वारे उड़ा रही थी तो आदिल रशीद व मोई अली अपनी आस्था को प्राथमिकता देते हुए वहां से हट गये.

वहां मौजूद खिलाड़ियों ने उनकी आस्था का सम्मान भी किया. इसी अवसर पर किसी पत्रकार ने जब कैप्टन ईयन मोर्गन से पूछा कि इस जीत में आपकी किस्मत का बड़ा हाथ है. तो उन्होंने जवाब दिया कि “अल्लाह की मदद हमारे साथ थी. उन्होंने आदिल रशीद का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने यकीन दिलाया था कि हमारे साथ अल्लाह है”.

सद्भाव की नजीर

ऐसे समय में जब धर्म, भाषा, नस्ल आदि मुद्दों पर दुनिया में नफरत बढ़ती गयी है तब इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने साबित कर दिया है कि वे न सिर्फ खेल भावना से सबसे आगे हैं बल्कि क्रिकेट के सहारे शांति और भाईचारे का संदेश कैसे दिया जा सकता है, उन्होंने यह भी साबित कर दिया है.

 

[box type=”success” ]जब इंग्लैंड की टीम जीत के जश्न के लिए शैम्पेन की बोतल के फ्व्वारे उड़ा रही थी तो आदिल रशीद व मोई अली अपनी आस्था को प्राथमिकता देते हुए वहां से हट गये. वहां मौजूद खिलाड़ियों ने उनकी आस्था का सम्मान भी किया.[/box]

इंग्लैंड की टीम में जहां खुद कैप्टन ईयन मोर्गन आइरिश मूल के हैं तो आदिल रशीद व मोईन अली पाकिस्तानी मूल के हैं. इस टीम में अफ्रिकन और उत्तर अमेरिकन नस्ल के खिलाड़ी भी हैं. इंग्लैंड की जीत ने यह सबक दिया है कि क्रिकेट एक टीम गेम है जहां जीत और हार हर खिलाड़ी के सहयोग का नतीजा है. इस जीत ने यह भी सिखाया है कि कैसे विभिन्न धर्म और नस्ल के लोग मिल कर एक साथ बड़ी कामयाबी हासिल कर सकते हैं.

By Editor


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