जापान और कनाडा की ट्रेनों पर उकेरी जाएगी मिथिला पेंटिंग
मधुबनी पेंटिंग का मुरीद हुआ जापान और कनाडा
दीपक कुमार ठाकुर,ब्यूरो प्रमुख( नौकरशाही डॉट कॉम)
मधुबनी: पूर्व-मध्य रेल की ओर से मधुबनी स्टेशन एवं संपर्क क्रांति एक्सप्रेस में सजाए जाने के बाद अब मधुबनी पेंटिंग की ख्याति दूर देश तक जाएगी। बिहार की मशहूर मधुबनी पेंटिंग्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पहचान मिली है। यूनाइटेड नेशंस के भारतीय कार्यालय ने ट्विटर के माध्यम से दोनों ट्रेनों की सजावट को सराहा है।
जापान और कनाडा की ट्रेनों में दिखेगी मधुबनी पेंटिंग
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अब जापान व कनाडा जैसे देशों ने भी अपने यहां की ट्रेनों और स्टेशनों को मधुबनी पेंटिंग्स से सजाने की कवायद शुरू कर दी है। दोनों देशों ने रेलवे बोर्ड से इस संबंध में जानकारी मांगी है। रेल मंत्रालय की ओर से दोनों देशों को इसकी पूरी जानकारी भेजी जा रही है।
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मधुबनी पेंटिंग्स की वजह से मिली नई पहचान
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ज्ञात हो कि राजेंद्रनगर टर्मिनल से नई दिल्ली जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस की रैक को मधुबनी पेंटिंग के कारण अलग से पहचाना जा सकता है। इन ट्रेनों की खूबसूरती से देश के अन्य राज्य ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी सराहना होने लगी है।
नई पहचान दिलाने की कोशिश
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पूर्व-मध्य रेल के सीपीआरओ राजेश कुमार ने बताया कि रेल प्रबंधन की ओर से बिहार की मशहूर मधुबनी पेंटिंग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश की गई है। पटना जंक्शन, पाटलिपुत्र स्टेशन, मधुबनी स्टेशन, राजेंद्रनगर टर्मिनल के साथ ही राजधानी और संपर्क क्रांति एक्सप्रेस को मधुबनी पेंटिंग से पूरी तरह सजाया गया है। इससे इस कला को विश्व के कई देशों में पहचान मिली है। इस कला से जुड़े कलाकारों को दूसरे देशों की ट्रेनों व स्टेशनों को सजाने का ऑफर मिलने लगा है।
ट्रेनों को पेंटिंग से सजाने में दिखाई दिलचस्पी
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कनाडा व जापान जैसे विकसित देशों ने अपने यहां की ट्रेनों को मधुबनी पेंटिंग से सजाने में दिलचस्पी दिखाई है। दोनों देशों ने रेल मंत्रालय से संपर्क कर पूरा विवरण मांगा है। सीपीआरओ ने कहा कि अगर रेल मंत्रालय से अनुमति मिल जाती है तो पूर्व-मध्य रेल कनाडा व जापान व कई अन्य देशों की ट्रेनों को सजाने का काम कर सकती है। इससे यहां के कलाकारों को भी विश्व स्तर पर सम्मान के साथ आर्थिक खुशहाली मिलेगी। इस कला से जुड़े कलाकारों, जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं, के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। जोन इस बात से गौरवान्वित है कि इस कला को पुन: राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में उसने प्रमुख भूमिका निभाई है .