उधर धर्मेंद्र प्रधान दिल्ली लौटे, इधर CM पहुंचे नालंदा, क्या पक रहा
पटना से दिल्ली तक चर्चा गर्म है। बिना किसी कार्यक्रम के धर्मेंद्र प्रधान अचानक नीतीश से मिलने क्यों पहुंचे। वे दिल्ली लौटे, इधर सीएम नालंदा पहुंचे।
अभी लोग माथापच्ची कर ही रहे थे कि यूपी भाजपा के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अचानक बिना किसी कार्यक्रम के पटना क्यों आए? वे सिर्फ मुख्यमंत्री से मिले और दिल्ली लौट गए। आखिर दोनों में क्या बात हुई, क्या पक रहा है? इसी बीच आज मुख्यमंत्री नालंदा पहुंच गए। उन्होंने यहां प्रसिद्ध दरगाह पर चादर भी पेश की। पिछले एक महीने में वे जितनी बार नालंदा गए हैं, शायद ही पहले कभी गए हों।
दिल्ली और पटना के राजनीतिक गलियों में धर्मेंद्र प्रधान के अचानक नीतीश कुमार से मिलने को भाजपा का सरेंडर माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि पहले भाजपा ने नीतीश कुमार पर दबाव बनाया कि वे बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी भाजपा को सौंप दें और खुद दिल्ली चले जाएं। यहां तक कि भाजपा नेता अपने भावी मुख्यमंत्री का नाम भी बताने लगे थे। वे फिलहाल केंद्र में मंत्री हैं। इस दबाव के बाद नीतीश कुमार ने राजद से मेल जोल बढ़ाया, तो स्वाभाविक रूप से भाजपा में खलबली मच गई। जदयू के एक नेता ने कहा कि नीतीश कुमार मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी हैं और भाजपा अपने इशारे पर उन्हें नचा नहीं सकती।
राजद के एक नेता ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को जदयू को वोट बेहद आवश्यक है। अगर जदयू ने वोट नहीं किया, तो भाजपा के लिए अपना प्रत्याशी जिताना असंभव हो जाएगा। मालूम हो कि जिस दिन तेजस्वी यादव के इफ्तार में मुख्यमंत्री पैदल ही पहुंच गए, उसी दिन से भाजपा के कान खड़े हो गए। अब उन्हें मनाने के लिए भाजपा परेशान है।
नीतीश कुमार की राजद और तेजस्वी यादव से नजदीकियों की चर्चा दिल्ली तक है। ऐेसे में नीतीश कुमार को मनाने के लिए भाजपा के बड़े नेता बिना किसी कार्यक्रम के अचानक मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। राजनीति की जिसे थोड़ी भी समझ है, वह भी इस तरह केंद्रीय मंत्री के पटना आने को सामान्य घटना नहीं मान रहा। हर जगह यही चर्चा है, बिहार में क्या होगा?
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