विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कहा कि आज जो लोग सत्ता में बैठे हैं वो चाहते हैं कि हमलोग बंटे और अपने अधिकार के प्रति सजग नहीं रहें लेकिन ऐसी साजिशों के खिलाफ मजबूती से एकताबद्ध होकर संविधान की रक्षा के लिए एक साथ खड़ा होना होगा। बाबा साहब के संविधान की जगह आरएसएस के एजेंडा को लागू करने की साजिश चल रही है। 17 महीनों में हमने मुद्दों के साथ जुड़कर जो काम किया है उसे आप सभी का समर्थन मिल रहा है। आज समाज के लिए सबसे बड़ा दुश्मन बेरोजगारी है। अगर पढ़ लिखकर बिना नौकरी के हैं तो परिवार के लोगों को चिंता होती है कि कैसे हम अपने आपको स्थापित कर पायेंगे। हमने जो 10 लाख नौकरी की बात की थी उसको सरकार में आते ही आगे बढ़ाया और 5 लाख से अधिक लोगों को नौकरियां दी। साथ ही शिक्षा मित्र, विकास मित्र, तालिमी मरकज के लोगों को मानदेय बढ़ाकर 25 हजार रूपया किया। वे संत शिरोमणी गुरू रविदास जी का 647वां राज्यस्तरीय जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। रविन्द्र भवन, पटना में रविदास चेतना मंच के अध्यक्ष सह पूर्व मंत्री श्री शिवचन्द्र राम की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का संचालन पूर्व विधायक लालबाबू राम ने किया।
तेजस्वी यादव ने कहा कि इन्होंने आगे कहा कि बिहार में जाति आधारित गणना कराकर सभी की स्थिति का आकलन करके उनको आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए सरकार में रहते हुए हमने सभी वर्गों के गरीबो के लिए 2 लाख रूपये दिये जाने और जिनके पास मकान बनाने के लिए जमीन नहीं है उन्हें एक लाख रूपये और मकान बनाने के लिए अलग से 1 लाख 20 हजार रूपये देने का फैसला लिया था। लेकिन किस तरह की साजिश की गई यह सबको पता है। जनता सबका हिसाब-किताब कर देगी। हमने आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 75 प्रतिशत की और उसमें दलित आदिवासी, पिछड़ा, अतिपिछड़ा के आरक्षण की सीमा को भी बढ़ाकर जो काम किया है वह सबको पता है। महागठबंधन सरकार ने नौकरी का एजेंडा लागू किया और नफरत की राजनीति को बिहार से दूर किया। इसी क्रम में हमने शिक्षा विभाग में 70 दिनों के अन्दर 2 लाख से अधिक लोगों को नौकरी दी। स्वास्थ्य विभाग में 1 लाख 35 हजार लोगों को नौकरी देने जा रहे थे लेकिन इस मामले में बिहार के एनडीए सरकार टाल-मटोल कर रही है। हमने आशा दीदी के मानदेय को बढ़ाकर 2500 रूपया कर दिया था। लेकिन उस फाईल को रोककर रखा गया। चाहे ममता दीदी हो, आशा दीदी हो या विकास मित्र टोला सेवक, तालिमी मरकज में काम करने वालो के साथ उनका हक और अधिकार मिलना चाहिए। हमसभी को आज इस बात का संकल्प लेकर जाना होगा कि देश में लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था की मजबूती के लिए बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेदकर और संत शिरोमणी गुरू रविदास जी के विचारों के अनुरूप समाज में एकताबद्ध होकर कार्य करना होगा।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष पूर्व मंत्री शिवचन्द्र राम, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र राम, पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता, पूर्व मंत्री अनीता देवी, प्रो0 चन्द्रशेखर, राज्यसभा सांसद संजय यादव, विधायक सतीश कुमार दास, रणविजय साहू, मुकेश रौशन, सुदय यादव, पूर्व विधायक शक्ति सिंह यादव, लालबाबू राम, चंदन राम, सुबेदार दास, अरूण यादव, प्रदेश राजद प्रवक्ता एजाज अहमद, जिला परिषद भोजपुर के अध्यक्षा आरती कुमारी सहित अन्य गणमान्य नेताओं ने संत शिरोमणी गुरू रविदास के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
रविदास चेतना मंच की ओर से अध्यक्ष शिवचन्द्र राम ने नेता प्रतिपक्ष को चांदी का मुकुट पहनाकर स्वागत किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में शिवचन्द्र राम ने कहा कि गुरू रविदास का जयंती पखवाड़ा के अन्तर्गत आज हम सभी इकट्ठे होकर संत शिरोमणी गुरू रविदास जी के विचारों और आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प ले रहे हैं और नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने हमेशा बाबा साहब और रविदास जी के विचारों के अनुरूप शोषित, वंचित और दलित समाज को उंचा उठाने के लिए सत्ता में रहते हुए जो कार्य किये वह अविस्मरणीय है और विपक्ष में भी जब होते हैं तो रविदास समाज के राजनीतिक, सामाजिक और उनके आर्थिक उन्नति के लिए संघर्ष और आन्दोलन के माध्यम से मनोबल को उंचा उठाने का काम करते हैं।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव जी को 12 सूत्री मांगों से संबंधित मांग पत्र समर्पित कर मान्यवर काशीराम जी को भारत रत्न से सम्मानित करने, संत शिरोमणी गुरू रविदास जी एवं बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेदकर की जीवनी को पंचम वर्ग से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में शामिल कराने, बाबा साहब डाॅ0 भीमराव अम्बेदकर की आदमकद प्रतिमा बिहार विधान सभा परिसर में लगाये जाने, प्रोन्नति में आरक्षण लागू करने तथा आरक्षण को मौलिक अधिकार में शामिल करने, संत रविदास की आदमकद प्रतिमा पटना में लगाने के लिए जमीन आवंटित किये जाने, निजी क्षेत्र सहित न्यायपालिका में आरक्षण की व्यवस्था किये जाने, चमार रेजीमेंट को पुनः बहाल किये जाने तथा चमार रेजीमेंट के वीर गाथा को पाठ्यक्रम में शामिल करने से संबंधित मांत्र पत्र दिया गया।