यूपी में फ्लॉप हो गया भाजपा का 80-20, बदल रही राजनीति

यपी चुनाव में योगी व भाजपा ने 80-20 का नारा दिया। मतलब स्पष्ट है वे हिंदू-मुस्लिम ध्रवीकरण चाहते थे, पर यह नारा फेल हो गया। अब किला बचाने की चिंता।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को 80-20 बना देने की प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने पूरी कोशिश की। लेकिन यह नारा अब फ्लॉप हो गया है। अब तो भाजपा के सामने अपना किला बचाने की चिंता है। यूपी भाजपा ने पिछले कुछ घंटों में छह बार पिछड़ों को मनानेवाले ट्वीट किए हैं। इसके साथ ही नेतृत्व के स्तर पर सभी पिछड़े समाज के विधायकों से संपर्क किया जा रहा है। उन्हें पार्टी में बनाए रखने के लिए जी-तोड़ कोशिश की जा रही है।

भाजपा ने 80-20 के बहाने हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के आधार पर प्रदेश की राजनीति को बांटने की हर कोशिश की, लेकिन उसमें कामयाबी नहीं मिली। काशी, मथुरा की बात उठाई। अयोध्या में मंदिर की चर्चा की, लेकिन उसके नेता रोज पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं। पिछले तीन दिनों से पार्टी में बगदड़ मची है और कोई नहीं कह सकता कि यह भगदड़ कहां जा कर रुकेगी। कल कोई इस्तीफा नहीं देगा, इसकी कोई गारंटी नहीं ले सकता।

भाजपा के 80-20 के जवाब में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि चुनाव में 85-15 चलेगा। अब लगता है चीजें उसी दिशा में जा रही हैं। पिछड़ों की ऐसी गोलबंदी मंडल समीकरण की याद दिला रही है, जब सारे पिछड़े एक साथ हो गए थे।

इस बार भाजपा का कोई दांव सही नहीं हो रहा। वह कुछ भी करती है, उसके खिलाफ चला जाता है। भाजपा के पास सबसे ज्यादा धन है, टीवी चैनलों पर कब्जा है, अखबारों में रोज भर-भर पन्ने का विज्ञापन छप रहा है, सोशल मीडिया में भारी-भरकम टीम है, लेकिन कोई काम नहीं दे रहा। धर्म संसद, बुल्ली बाई-सुल्ली बाई एप बनाकर मुसलमानों को टारगेट करने का अभियान चला, लेकिन उसका असर जमीन पर नहीं पड़ा। विधायक और मंत्री भाग रहे हैं। भाजपा करे, तो क्या करे। उसे हिंदू-मुस्लिम के अलावा कुछ आता बी तो नहीं।

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