यूपी में पीएम और अखिलेश में पहला मुकाबला 15 को
15 जुलाई को पूरे देश की नजर यूपी पर होगी। विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच पहला मुकाबला इसी दिन होगा।
यूपी विधानसभा चुनाव के लिए भूमिका बांधी जा चुकी है। एक तरफ भाजपा जनसंख्या नियंत्रण कानून लेकर आ रही है, दूसरी तरफ पंचायत चुनाव में हिंसा और लोकतंत्र की हत्या का सवाल सपा ने उठा दिया है। 15 जुलाई को भाजपा और सपा आमने सामने होगी।
15 जुलाई को प्रधानमंत्री बनारस पहुंच रहे हैं। इस दिन वे 400 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे, वहीं राज्य के हर जिले और प्रखंड में सपा कार्यकर्ता प्रदर्शन करेंगे। वे ‘लोकतंत्र की हत्या’ के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
राज्य में भाजपा की योगी सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लाने की तैयारी पूरे प्रचार के साथ कर रही है। देशभर के भाजपा नेता अचानक जनसंख्या वृद्धि पर गंभीर हो गए हैं। बिहार के भाजपा नेता भी यूपी के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून की सराहना कर रहे हैं।
हालांकि जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की बात से ही यूपी में इस मुद्दे पर राजनीति गरमा जाने की जो उम्मीद थी, वैसा कुछ नहीं हुआ। जम्मू-कश्मीर में जहां मुस्लिम आबादी बहुमत में है, वहां प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से बहुत कम 1.4 है। इसी तरह मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप में भी 1.4 ही है। असम और प. बंगाल में भी यह राष्ट्रीय औसत से कम है। प्रजनन दर बिहार में राष्ट्रीय औसत से अधिक 2.7 है। हाल में आई रिपोर्ट के अनुसार ज्यादतर राज्यों में प्रजनन दर प्रतिस्थापन दर 2.1 के बराबर या उससे नीचे है। स्पष्ट है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून का सवाल नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास से जुड़ा प्रश्न है। आखिर बिना ऐसे किसी कानून के बाद भी कश्मीर में प्रजनन दर क्यों कम है?
कई लोगों ने सवाल उठाया कि जब दो बच्चे से ज्यादा होने पर कोई निकाय चुनाव नहीं कर सकता, तो यही शर्त विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए क्यों नहीं लागू की जा सकती। इस तरह जनसंख्या नियंत्रण कानून की चर्चा पहले चरण में भाजपा को कोई लाभ देती नहीं दिख रही।
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आज कांग्रेस ने यूपी में महंगाई के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन किया। इस बीच 22 जुलाई को किसान संसद के सामने प्रदर्शन करेंगे, उसमें पश्चिमी यूपी के किसान भी होंगे। किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत कह चुके हैं कि सितंबर में मजफ्फरनगर में ऐतिहासिक किसान महापंचायत होगी, जिसमें यूपी के अलावा हरियाणा और पंजाब से भी किसान आएंगे। इस तरह स्पष्ट है कि 15 जुलाई से जो संघर्ष छिड़ेगा, वह लगातार तेज होता जाएगा।
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