यूपी के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश जाभर की गाड़ी ने गोंडा में छह साल के बच्चे को रौंद कर मार डाला. लेकिन मंत्री ने न तो गाड़ी रोकी और ना ही संवेदना जताई. सवाल यह है कि क्या यह सत्ता का अहंकार है या महज असंवेदनशीलता?
यह घटना बीते शाम की है जब करनैलगंज थानाक्षेत्र में बच्चा सड़क किनारे खेल रहा था. इसी दौरान मंत्री का काफिला वहां से गुजरा और बच्चे को रौंद डाला. बच्चे के पिता ने आज तक को बताया कि मंत्री जी ने रुक कर देखा तक नहीं, काफिले की दीगर गाड़ियां थोड़ी धीरे जरूर हुई पर जब खुद मंत्री नहीं रुके तो काफिला की दूसरी गाड़ियां भी नहीं रुकीं.
हालांकि मामले की संवेदनशीलता को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने परिजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है साथ दोषियों पर कार्रवाई का भरोसा भी दिया है.
पर सवाल इतना सा नहीं है. सवाल यह है कि एक कैबिनेट मंत्री जो जनप्रतिनिधि हैं, वह इतने असंवेदनशील क्यों हैं. वह इतने अहंकारी क्यों हैं. अगर वह रुक जाते, तो लोगों में इतना आक्रोश नहीं होता. इस घटना ने एक जनप्रतिनिधि के सत्ता के अहंकार को परिलक्षित कर दिया है. जहां एक जनप्रतिनिधि को आम जन की परेशानियों में शामिल होने और उनके साथ सहानुभूति दिखाना चाहिए, वहीं राजभर ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जो अक्षम्य है.
लेकिन इस मामले का दूसरा पहलु यह भी है कि बच्चे के पिता ने मंत्री की गाड़ी से मौत होने की एफआईआर लिखानी चाही तो पुलिस ने इसे काफिले की कार से हुई घटना लिखा. क्या पुलिस भी राजभर को बचाना चाहती है?