उपेंद्र कुशवाहा और मंत्रियों ने भी RSS के खिलाफ खोल दिया मोर्चा
गृहमंत्री अमित शाह 23-24 सितंबर को बिहार आंंएंगे। किशनगंज भी जाएंगे। इधर उपेंद्र कुशवाहा और दो मंत्रियों ने संघ के खिलाफ खोल दिया मोर्चा।
आज जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने संघ-भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार के उस फैसले का जम कर विरोध किया, जिसमें एयरपोर्ट की सुरक्षा से सीआईएसएफ को हटाने का निर्णय लिया गया है। खबर यह भी है कि सीआईएसएफ नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय की सुरक्षा करेगी। उपेंद्र कुशवाहा ने सीधे गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए पूछा-माननीय @HMOIndia श्री @AmitShah जी, आखिर मामला क्या है ? RSS कार्यालय की सुरक्षा स्टेट सुरक्षा बल से लेकर CISF के जिम्मे दे रहे हैं और हवाई अड्डों की सुरक्षा CISF से छीन कर प्राइवेट (अडानी) कंपनी के हाथ में..! उपेंद्र कुशवाहा जदयू के शायद पहले नेता हैं, जिन्होंने अडानी का नाम लेकर विरोध किया है। कुशवाहा ने कहा-
माननीय @HMOIndia श्री @AmitShah जी, सवाल तो उठता है :- 1. क्या आम नागरिकों और देश की आंतरिक सुरक्षा से ज्यादा अहम आपके RSS कार्यालयों की सुरक्षा है ? 2. क्या अपने दोस्त अडानी जी के निजी लाभ के लिए हवाई अड्डों की सुरक्षा को खतरे में डालने से भी आपको परहेज़ नहीं है ? 3. क्या आपको अपनी स्थानीय सरकार पर भी भरोसा नहीं है ? आखिर महाराष्ट्र में तो आपकी ही सरकार है, महोदय ! 4. क्या निजी हाथों में सुरक्षा को सौंपना SC, ST, OBC एवं आर्थिक रूप से कमजोर अगड़ी जातियों के नौजवानों को उनके आरक्षण से उन्हें वंचित करने की साज़िश है ?
इस बीच बिहार सरकार के दो मंत्री लेसी सिंह और जमा खान ने भी अप्रत्यक्ष रूप से संघ-भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़नेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने सीमांचल में देश के गृह मंत्री अमित शाह के आने सम्बन्धित एक सवाल पर कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है। यहाँ सभी आ सकते हैं, उन्होंने आगे कहा कि यहां किसी को साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने नहीं दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो संघ और भाजपा के खिलाफ जंग छेड़ दी है। धीरे-धीरे जदयू के अन्य नेता भी भाजपा के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। जदयू जल्द ही सदस्यता अभियान शुरू करेगा, लेकिन देखनेवाली बात तब होगी, जब नीतीश कुमार संघ-भाजपा के खिलाफ किसी जन-अभियान की घोषणा करेंगे। राजनीतिक क्षेत्रों में माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में कई नेता दल-बदल कर सकते हैं। ऐसे नेता मी हैं, जिनके लिए विचारधारा से ज्यादा अपने खुद के लिए सुरक्षित जगह पाना ज्यादा महत्व रखता है।
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