अमेरिका ने भारतीयों को हथकड़ी लगा कर भारत भेजा। उन्हें टॉयलेट तक जाने की इजाजत नहीं थी। हिंदी अखबारों ने खबर तो छापी, पर भारत के अपमान पर पर्दा डाल दिया। वहीं अंग्रेजी अखबारों ने साहस दिखाया।
बिहार, झारखंड और उप्र में सर्वाधिक बिकने वाले अखबारों में एक हिंदुस्तान की हेडिंग देखिए-अवैध अप्रवासियों पर पक्ष-विपक्ष में घमासान। इस हेडिंग से लगता ही नहीं है कि अमेरिका ने भारत का कोई अपमान किया। वहीं दैनिक जागरण तो एक कदम और आगे निकल गया। उसकी हेडिंग है-निर्वासित भारतीयों से अच्छे व्यवहार पर अमेरिका से हो रही बातचीत। इसमें न सिर्फ भारत को अपमान की बात को गायब कर दिया गया है, बल्कि सरकार का गुणगान किया गया कि देखिए भारत सरकार देशवासियों के लिए कितना चिंतित है।
दैनिक भास्कर की हेडिंग अपेक्षाकृत ठीक है। उसकी हेडिंग है कमाने गए थे…आतंकी बन कर लौटे। हालांकि इस हेडिंग में भी कन्फ्यूजन है कि आतंकी बन कर लौटे जैसे भारतीय ही दोषी है। होना चाहिए था कि आतंकी जैसा बना कर भेजे गए। इसके बाद अखबार की छोटी हेडिंग ठीक है। उसमें लिखा गया है कि 40 घंटे तक हथकड़ी थी और वॉशरूम तक जाने की इजाजत नहीं दी गई।
————-
माई-बहिन अभियान के बाद तेजस्वी का फोकस युवाओं पर, पांच मार्च को करेंगे जुटान
अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ की हेडिंग सबसे शानदार है। उसने लिखा है अमेरिका के हथकड़ी गैंग का अत्याचार।इस अखबार ने अमेरिका का नाम लिखने की भी हिम्मत की और उनके अत्याचार का भी जिक्र किया। अखबार ने यह भी लिखा है कि खुद को विश्व गुरु कहने वालों के मुंह सिल गए हैं।
गनीमत है सोशल मीडिया, यूट्यूब और न्यूज पोर्टल का, जिसने भारत के अपमान की खबर को प्रमुखता से जगह दी और देश जान सका कि खुद को सबसे ज्यादा विकसित देश कहने वाले अमेरिका ने किस तरह मानवाधिकार का मजाक उड़ाया है।