विस में पुलिस प्रवेश के बाद तेजस्वी ने जारी किया नया संकल्पपत्र
देश के इतिहास में पहली बार विधानसभा में पुलिस घुसी। विधायकों को पीटा गया। जूते से ठोकर मारी गई। अब तेजस्वी यादव ने अपना नया संकल्पपत्र जारी कर दिया है।
कुमार अनिल
बिहार विधानसभा में पहली बार पुलिस प्रवेश के दो दिन बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राष्ट्रकवि दिनकर की एक कविता को ट्विट किया। दिनकर की आग उगलती और युवाओं को झेकझोरने वाली इस कविता का अर्थ है कि भले ही आकाश फट जाए, लेकिन अनीति के आगे सिर नहीं झुकाएंगे।
मत झुको अनय पर भले व्योम फट जाये
दो बार नहीं यमराज कण्ठ धरता है
मरता है जो एक ही बार मरता है
तुम स्वयं मृत्यु के मुख पर चरण धरो रे
जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे!
वीरत्व छोड़ पर का मत चरण गहो रे
जो पड़े आन खुद ही सब आग सहो रे!
तेजस्वी ने राष्ट्रकवि दिनकर की इन पंक्तियों को याद दिलाकर दरअसल अपना नया संकल्पपत्र जारी कर दिया है। अनीति के सामने मत झुको, भले ही आकाश फट जाए। यमराज दो बार किसी के लिए नहीं आता है। जो भी मरता है, वह एक ही बार मरता है। इसीलिए जीना है, तो मरना सीखो, मौत के मुंह पर पैर रख दो, डरो मत। वीरता छोड़कर किसी के चरणों में खुद को समर्पित मत करो। जो भी अब होगा, उसका सामना करेंगे।
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दिनकर की इन पंक्तियों के जरिये उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अब लड़ाई आर-पार की होगी। भले ही घास की रोटी खानी पड़े, गांव-गांव गांधी की तरह पदयात्रा करनी पड़े, लेकिन जनता को जगाएंगे, जनता को जोड़ेंगे और अनीति का खात्मा करेंगे। इन पंक्तियों के जरिये उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को भी संदेश दे दिया है कि लंबी लड़ाई के लिए तैयार हो जाओ।
आज से 32 साल पहले तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता को अपमानित होना पड़ा था। उनकी साड़ी का एक हिस्सा खुल गया था। तब उन्होंने संकल्प लिया था कि वे विधानसभा में तभी प्रवेश करेंगी, जब मुख्यमंत्री बनेंगी। तेजस्वी ने दिनकर की पंक्तियों से बता दिया है कि वे अब संघर्ष की नई कहानी लिखने निकल पड़े हैं।
राष्ट्रकवि दिनकर के पोते अरविंद सिंह बताते हैं कि तेजस्वी ने जो कविता शेयर की है, उसे राष्ट्रकवि ने भारत पर चीन के हमले के बाद देश के युवकों को ललकारते हुए लिखी थी। परशुराम की प्रतीक्षा कविता की इन पंक्तियों दिनकर ने कहा है कुछ भी हो जाए, आकाश ही फट जाए, पर पाप के सामने, अनीति के सामने झुको मत। मौत भी आए, तो डरो मत।