विवेकानंद की जयंती पर भिड़े राजद और भाजपा के दिग्गज
हर दल के अपने-अपने विवेकानंद हैं। किसी ने उन्हें हिंदू संस्कृति से जोड़ा, तो किसी ने उन्हें युवा अधिकार और संघर्ष का प्रतीक बताया।
कुमार अनिल
आज स्वामी विवेकानंद की जयंती राजद और भाजपा के भिड़ंत का नया मंच बन गई। राजद ने जहां उन्हें समाज में प्रेम और युवा अधिकार व संघर्ष का प्रतीक बताया, तो भाजपा ने उन्हें भारतीय अध्यात्म को दुनिया के सामने लाने का श्रेय दिया। वहीं कुछ विद्वान लेखकों ने उनके उस चर्चित बयान को फिर याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत का ब्रेन हिंदू का हो और बाडी इस्लामिक हो, तो देश शक्तिसंपन्न बनेगा।
आज सुबह-सुबह बिहार में विपक्ष के नेता ने ट्वीट करके भाजपा को घेरा। उन्होंने कहा कि बिहार से केंद्र में आधा दर्जन मंत्री है, दो-दो उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन आज तक वे पटना विवि को केन्द्रीय विवि का दर्जा नहीं दिला सके। दोपहर होते-होते सोशल मीडिया पर स्वामी विवेकानंद को लेकर कई हैशटैग चलने लगे। उन्हें हिंदू नायक के बतौर सीमित किया जाने लगा, तो दोपहर बाद तेजस्वी ने एक बार फिर ट्वीट किया और स्वामी जी की उस उक्ति पर जोर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सफलता के लिए शुद्धता, धैर्य और दृढ़ता जरूरी है, लेकिन सबसे जरूरी है प्रेम।
स्वामी जी जब प्रेम की बात करते हैं, तो उसका अर्थ वैश्विक प्रेम से है। यहां जाति, धर्म, गोरा-काला का फर्क नहीं रहता।
तेजस्वी ने दो साल में चौथी बार दी नीतीश को ये चुनौती
इस अवसर पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट करके संस्कृति, भारतीय अध्यात्म और जागृति लानेवाले स्वामी जी की जयंती पर शुभकामनाएं दी। सोशल मीडिया पर आज स्वामी विवेकानंद की जयंती पर टिप्पणियों की बाढ़ रही। उन्हें हिंदूओं के नायक तक सीमित कर देनेवाली टिप्पणियां भी खूब की गईं।
उधर कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने उपनिषद का चर्चित श्लोक उद्धृत किया, जिसे स्वामी जी अक्सर कहा करते थे- एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति यानी वह (ईश्वर) एक ही है। उस तक पहुंचने के मार्ग अलग-अलग हैं।
ब्रेन हिंदू का और शरीर इस्लामिक हो
स्वामी विवेकानंद भारत को हर तरह से शक्तिसंपन्न देखना चाहते थे। कई लेखकों ने स्वामी जी के उस कथन को फिर याद किया, जिसमें वे कहते थे कि भारत को आगे बढ़ने के लिए हिंदू मस्तिष्क और इस्लामिक शरीर चाहिए। रामकृष्ण मिशन, पटना आश्रम के सचिव रह चुके और फिलहाल कच्छ में मिशन का कार्य देख रहे स्वामी सुखानंद ने पुष्टि की और कहा कि उनके लिए सारी मानवजाति एक थी।
उन्होंने कहा कि वे चरित्र पर सर्वाधिक जोर देते थे। साथ ही बिना स्वार्थ के सेवाभाव हो, तो उसका पराक्रम बढ़ता जाएगा। स्वामी सुखानंद यह भी कहते हैं कि शक्ति तो हनुमान और रावण दोनों के पास थी। रावण ने उस शक्ति का दुरुपयोग किया, इसलिए वह नष्ट हो गया।