आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत (रजिस्टर्ड), बिहार के संयोजक सैयद नशूर अजमल ने वक्फ संशोधन बिल का खुलकर विरोध किया है। बिल के लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से उन्होंने मुलाकात करके स्पष्ट कर दिया कि यह बिल वक्फ संपत्ति में सरकार का सीधा हस्तक्षेप होगा, इसलिए इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। पटना पहुंची जेपीसी के सामने उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि संशोधन बिल पूरी तरह नामंजूर है. यह वक्फ संपत्ति में सरकार का अनावश्यक हस्तक्षेप है जो देश के गरीब और जरूरतमंद अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए है.
उन्होंने वक्फ संशोधन बिल के प्रमुख बिंदुओं की चर्चा करते हुए कहा कि मौखिक रूप से वक्फ करने की विधि को समाप्त करना भारतीय कानूनी और इस्लामी परंपराओं के खिलाफ होगा. सुप्रीम कोर्ट और भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट 1882 में मौखिक उपहार और मुतवल्ली की नियुक्ति को वैध माना गया है. इसे हटाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13(3)(ए) का उल्लंघन होगा और मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करेगा.उन्होंने मौखिक वक्फ के प्रावधान को जारी रखने की मांग करते हुए कहा कि मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता और परंपराओं का सम्मान किया जाए.
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उन्होंने कहा कि वक्फ स्थापित करने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेने का प्रस्ताव अनावश्यक प्रशासनिक हस्तक्षेप है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार को कमजोर करता है.उन्होंने मांग की कि इस शर्त को समाप्त किया जाए.