वक्फ की मूल भावना देने की है, लेने की नहीं है। यह कहना गलत है कि वक्फ बोर्ड किसी की संपत्ति को हड़प लेता है, बल्कि सच्चाई यह है कि वक्फ के तहत मुसलमान अपनी बहुमूल्य संपत्ति को लोगों की भलाई के लिए दान कर देते हैं। जरूरत इस बात की है कि वक्फ के बारे में फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर किया जाए। ये बातें जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के तत्वावधान में रविवार को ‘वक्फ का महत्व और हमारा दायित्व’ शीर्षक से आयोजित एक संबोधन कार्यक्रम के दौरान जमाअते इस्लामी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने कहीं।
मोतसिम खान ने आरोप लगाया कि सरकार तरह-तरह के बहाने बनाकर और आरोप लगाकर वक्फ की खरबों की संपत्ति पर कब्जा जमाना चाहती है। इसी मकसद से वह संसद में वक्फ संशाधन विधेयक लाई। लेकिन विपक्ष के जबरदस्त विरोध को देखते हुए विधेयक को संयुक्त संसदी समिति के सुपुर्द करने पर मजबूर हो गई।
मोतसिम खान ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि विधेयक को कानून न बनने देने के लिए वे बिहार की नीतीश और आंध्रप्रदेश की नायडू सरकार पर दबाव डालें।
इमारत शरीया के कार्यकारी सचिव मौलाना शिबली अलकासमी ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि सरकार एक ऐसा कानून बनाती जिससे सरकारी और कार्पोरेट संस्थानों के कब्जे से वक्फ की संपत्ति को कब्जा मुक्त कराया जाता। लेकिन इसके विपरीप उन्हें हड़पने के लिए कानून बनाने जा रही है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
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जमाअते इस्लामी के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने कहा कि सरकार के पास वक्फ का मालिकाना हक नहीं होता। वक्फ संपत्ति की सुरक्षा करना सरकार का दायित्व है। कार्यक्रम को बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष इरशाद अली आजाद और शीया धर्मगुरु मौलाना अमानत हुसैन समते कई लोगों ने संबोधित किा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के गण्यमान लोग मौजूद थे।