Umair Khan, Bihar Congress अपनी जिद और जद्दोजहद से बिहार की सियासत में एक ऐसी शख्सियत ने पिछले चंद वर्षों में अपनी पहचान बनायी है जिनका नाम है उमैर खान. आइए बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक डिपार्टमेंट के चैयरमैने को जानिये.

 अपनी जिद और जद्दोजहद से बिहार की सियासत में एक ऐसी शख्सियत ने पिछले चंद वर्षों में अपनी पहचान बनायी है जिनका नाम है उमैर खान. आइए बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक डिपार्टमेंट के चैयरमैने को जानिये.

कुमार अनिल की रिपोर्ट

उमैर खान रातों रात नेता नहीं बने। किसी की कृपा से भी नेता नहीं बने। किसी नेता की गणेश परिक्रमा करके भी नेता नहीं बने। उमैर खान आम जनता के लिए लड़ते हुए नीचे से ऊपर पहुंचे हैं।

 

सीएए विरोधी आंदोलन जब देशभर में शुरू हुआ, तो गया का आंदोलन दूसरा शाहीनबाग बन गया। इस दूसरे शाहीनबाग के कर्ता-धर्ता उमैर खान ही थे। राहुल गांधी के साथ कन्याकुमारी से कश्मीर तक चार हजार किमी पैदल चले। आज वे राहुल गांधी के पसंदीदा साथियों में एक हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने जो-जो जिम्मेदारियां दीं, सब पूरी लगन से निभाया। आज वे बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन हैं।

उमैर खान बिहार के गया जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता अखियार हुसैन सौंधी जमखौर के 35 वर्षों तक मुखिया रहे। आश्चर्य की बात यह कि पूरे पंचायत में मुस्लिम आबादी नहीं है। उन्हें हिंदू ही मुखिया चुनते रहे।

 

दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उमैर खान एएमयू चले गए। यहां उन्होंने गोल्ड मेडल के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की। पोस्ट ग्रेजुएशन भी यहीं से किया। पढ़ाई के बाद कई कंपनियों में अच्छे पदों पर काम किया। मुंबई में अपना व्यवसाय जमाया। तभी उनकी मां की तबीयत खराब हुई और वे गया आए। फिर तो यहीं के हो के रह गए।

 

जनता के दुखदर्द में शामिल हो गए। लोगों का प्यार ही उन्हें सार्वजनिक जीवन में खींच लाया। उनके मामा शकील अहमद खान बिहार सरकार में मंत्री थे। मामा के लिए विधानसभा चुनाव में खूब काम किया। लोकसभा चुनाव में काम किया। जनता से उनका जुड़ाव बढ़ता गया। 2016 में जिला परिषद का चुनाव लड़ा और जीते। हालांकि अब तक वे किसी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं थे

2017 में सांसद पप्पू यादव ने उनसे संपर्क किया। उन्हें पटना में बातचीत के लिए आमंत्रित किया। वे पटना आए, लंबी बात हुई। फिर वे पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी से जुड़ गए। उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया और अल्पसंख्यक सेल का प्रमुख बनाया गया।

 

सीएए आंदोलन ने दी पहचान

 

उमैर खान के जीवन में अभी कई मोड़ आने थे। जब सीएए के खिलाफ देशभर में आंदोलन शुरू हुआ, तो उन्होंने भी गया के युवकों को संगठित किया और आंदोलन छेड़ दिया। अनिश्चितकालीन धरना शुरू हुआ। दिन-रात हजारों लोग जुटे रहते। दिल्ली के शाहीनबाग के बाद गया का यह आंदोलन सबसे लंबा और सबसे प्रभावी था। देशभर के नेता गया पहुंचे और अपना समर्थन जताया. सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात, वृंदा करात, तेजस्वी यादव, कन्हैया कुमार, माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य सहित अनेक नेता आए। इसी दरम्यान कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी भी आए। धरने में शामिल हुए। उन्होंने दिल्ली में मिलने के लिए बुलाया। दिल्ली में उनसे लंबी बात हुई। उन्होंने कहा कि हमें राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करना चाहिए। मैने सोचने का वक्त मांगा और गया लौट आया।

 

भारत जोडो यात्रा

उमैर खान के जीवन का सबसे अविस्मरणीय काल भारत जोड़ो यात्रा है। जब यात्रा की शुरुआत हो रही थी, तब उन्होंने भी पदयात्री बनने के लिए आवेदन दिया और उनका चुनाव कर लिया गया। फिर तो वे कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी के साथ पैदल चले। हजारों किमी की इस यात्रा में उन्होंने असली हिंदुस्तान को नजदीक से देखा। उमैर ने नौकरशाही ड़ट कॉम से कहा कि उन्हें तो कहीं नफरत दिखी ही नहीं। इसके बाद वे पूरी तरह कांग्रेस के हो गए। दिन-रात कांग्रेस के लिए सोचना और करना।

कांग्रेस नेतृत्व ने जो-जो जिम्मेदारी दी, उसे बखूबी पूरा किया। उन्हें झारखंड का प्रभारी बनाया गया। वहां पार्टी को मजबूत किया। कई प्रदेशों में संगठन खड़ा करने, प्रचार करने का किया। फिर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें बिहार कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग का चेयरमैन बना कर प्रदेश में अल्पसंख्यकों के बीच राहुल गांधी के विचारों के प्रचार की जिम्मेदारी दी। अल्पसंख्यकों में कांग्रेस पार्टी की मजबूती की जिम्मेदारी दी। उसके बाद से वे लगातार इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं।

उमैर ने बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा किया। हर जगह संगठन को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं। अभी हाल में वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ पटना में विशाल रैली हुई। इसकी सफलता में उन्होंने कुछ भी उठा नहीं रखा। और अब उन्होंने खुद को बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में पूरी तरह झोंक दिया है।

 

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By Editor