सोशल मीडिया के शहंशाह कहे जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करारी शिकश्त मिली है. प्रधानमंत्री को सोशल मीडिया पर मन की बात प्रोग्राम पर लाइक से ज़्यादा डिसलाइक मिले है. ऐसा पहली बार हुआ है की इतनी बड़ी संख्या में जनता ने खुले आम मोदी के खिलाफ अपनी नापसंदगी का इज़हार किया है.

भारत की जनता ने सोशल मीडिया पर दुनिया में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बाद सबसे ज़्यादा पसंद किये जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूट्यूब पर झटका दिया है. भारतीय जनता पार्टी के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर मन की बात वीडियो को खबर लिखे जाने तक जितने लोगो ने पसंद किया उसका आठ गुना ज़्यादा लोगो ने नापसंद किया। वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात प्रोग्राम के ही यूट्यूब चैनल पर 35 हज़ार लोगो ने पसंद किया वही 61 हज़ार लोगो ने नापसंद किया। जिससे इस बात के संकेत मिलते हैं की सोशल मीडिया पर मोदी के पतन की शरूआत हो गयी है.

खबर लिखे जाने तक भाजपा के यूट्यूब चैनल पर 30 अगस्त को पोस्ट किये गए मोदी के मन की बात को 77 हज़ार लाइक मिले जबकि 5 लाख से ऊपर लोगो ने इसे नापसंद (डिसलाइक) किया।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं इसपर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. जानकारों का मानना है की मोदी देश की युवा पीढ़ी में खासे अलोकप्रिय हो चुके है. हाल ही सोशल मीडिया पर आईआईटी (Indian Institute of Technology ) की प्रवेश परीक्षा JEE (Joint Entrance Examination ) और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा NEET (National Eligibility Test ) टालने के समर्थन में देश भर में आंदोलन हो रहे हैं, अभिभावक कोरोना काल में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित है पर सरकार इसे टालने को तैयार नहीं। इससे प्रधानमंत्री का वोट बेस कहा जाने वाला युवा वर्ग बेहद नाराज़ है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात प्रोग्राम में जनता से माफ़ी भी मांगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि “लॉकडाउन के कारण लोगों को दिक़्क़तें हो रही हैं लेकिन ये करना ज़रूरी था. पीएम ने कहा कि वो लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं के कारण माफ़ी वो मांग रहे हैं”. सोशल मीडिया पर उनकी जनता की तरफ से तीखी आलोचना भी हुई. जनता ने खुलकर अपनी राय का इज़हार किया और इस से बीजेपी की दावों की पोल खुल जाती है की नरेंद्र मोदी देश के सबसे पसंद किये जाने वाले प्रधानमंत्री है. इस ट्रेंड से उजागर होते सवालों से भारतीय जनता पार्टी फ़िलहाल असहज महसूस कर रही है.

युवा के बदलते हुए रूख पर बोलते हुए शिक्षाविद डीएम दिवाकर ने कहा की “अब सपने बेचने वाले के स्टॉक में अब कोई नया सपना नहीं है बेचने के लिए, जब लोग इस हद तक उनके फैसलों से आहात हो चुके है तो जनता तो नाराज़गी व्यक्त करेगी ही. यह सिर्फ झटका ही नहीं एक सन्देश भी है”

“देश में कोरोना,बेरोज़गारी,डूबती अर्थव्यवस्था, सीएए के कारण ज़बरदस्त नाराज़गी है. लगभग 18 करोड़ लोग बेरोज़गार हो गए है. सरकार जनता को भटकाने के लिए राम मंदिर का मुद्दा ले आयी. ऐसे में जनता की नाराज़गी ज़ाहिर है होगी ही. अभी इनकी लोकप्रियता और भी ढलान पर जाएगी “

याद दिला दें की भारत में कोरोना महामारी के नियंत्रण, डूबती अर्तव्यवस्था, बेरोज़गारी और सांप्रदायिक स्थिति गड़बड़ाने से प्रधानमंत्री की काफी आलोचना हुई है. पिछले दिनों भाजपा के पूर्व कद्दावर नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी की आलोचना करते हुए ट्वीट किया था “स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे लेकिन NEET और JEE का आयोजन होना चाहिए। राजनीतिक सभाओं पर प्रतिबंध है लेकिन चुनाव होने चाहिए। क्या मजाक है?”

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कोरोना महामारी के बीच इंजीनियरिंग और मेडिकल की सर्वोच्च प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करने पर कहा “हमारे विद्यार्थियों का स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता है। परीक्षा की तैयारियों के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने व्यापक इंतजाम किए हैं तथा सभी आवश्यक सावधानियां बरती हैं। मेडिकल एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार परीक्षार्थियों की सुरक्षा के लिए हर तरह के उपाय किए गए हैं.”

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देश में छात्रों के आंदोलन पर शिक्षा मंत्री ने कहा ” मुझे बहुत दुःख है कि देश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए NEET और JEE परीक्षाओं को रोकने हेतु सोशल मीडिया पर झूठी तस्वीरों के माध्यम से अफवाहें फैलायी जा रही हैं।

By Editor


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