नीतीश सरकार के 7 निश्चय पूरे करने की भारी चुनौतियां हैं. लेकिन ग्रामीण विकास विभाग ने वित्त वर्ष समाप्त होने से पहले ही अफसरों के तबादले की झड़ी लगा दी है. आखिर क्यों?
 नौकरशाही ब्यूरो,मुकेश कुमार
इन तबादलों के कारण न सिर्फ 7 निश्चय का काम अटकेगा बल्कि नये  अधिकारियों के आने के बाद छह माह तो इलाके का भूगोल समझने में लगेगा. याद रखने की बात है कि वित्त वर्ष की समाप्ति के समय में विभिन्न विभागों के पास पड़े पैसे खर्च करने की भारी चुनौती होती है. अगर ये पैसे वित्त वर्ष की समयसीमा के भीतर खर्च नहीं हुए तो लैप्स कर जाने का खतरा रहता है. इसके बावजूद विभाग ने पूरे राज्य में तबादलों की झड़ी लगा रखी है.
सरकार एक तरफ जहां सात निश्चय के तहत पंचायतों को ओडीएफ( खुले में शौच) मुक्त करने के लिए सतत प्रयत्नशील है वहीं इन तबादलों से सरकार के इस मिशन को जबरदस्त झटका लगने की पूरी संभावना है.
सभी जिलों में जिला प्रशासन को काफी जद्दोजहद के बाद इस योजना को सफलीभूत करने की रफ्तार जब मिली तो ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा के अभियंताओं के तबादले की झड़ी ही लगा डाली।
पहले चरण में कार्यपालक अभियंताओं पर गिरी गाज
फिलवक्त ग्रामीण विकास विभाग ने पहले चरण में सूबे बिहार के कार्यपालक अभियंताओं का तबादला एक जिले से दूसरे जिले में कर दी,वही दूसरे चरण में सहायक अभियंताओं का भी पूरा कुनबा उस वक्त तबादले की भेंट चढ़ गया जब काफी मशक्कत के बाद शौचालय बनाने के लिए ग्रामीणों व आपूर्तिकर्ताओ को समझा-बुझाकर तैयार कर कार्य प्रारंभ कर दिया गया।
महकमे के आलाधिकारी इस मसले से वाकिफ है कि उक्त कार्य के क्रियान्वयन के लिए कितनी निधि आवंटित हुई है.सरकार पर भरोसा,कार्य पूरा करने का उद्देश्य।बस यही मानकर सभी जिलों में कार्य की गति पटरी पर चढ़ चुकी थी कि महकमे ने तबादले की झड़ी ही लगा डाली।
उल्लेखनीय है कि मनरेगा के कनीय अभियंताओं का तबादला लगभग दस वर्षों से नही हुआ है। जबकि यह प्रावधान के तहत समय पर होनी चाहिए थी।वित्तिय वर्ष मार्च के उपरांत ऐसे महकमे में तबादले की प्रक्रिया होनी चाहिए, ताकि रफ्तार से चल रहे कार्य की गति थम नही जाये।
गौरतलब है कि नक्सल प्रभावित जिलों में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किये गये अभियंताओं के तबादले से विकास की गति थमने के करीब है। क्योंकि नये अधिकारियों को यहां इतिहास, भूगोल समझने में ही 6 माह का वक्त यूं ही गुजर जायेगा।सीएम  के सात निश्चय पर महकमें की अदूरदर्शिता के कारण विकास की गति पर प्रश्रचिन्ह लगना लाजमी है।

By Editor


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