पेरियार की प्रतिमा पर तोड़े जाने का मामला हो या मोहन भागवत को सीधी चुनौती की बात हो, इन दिनो वरिष्ठ जदयू नेता श्याम रजक कोई अवसर नहीं गंवा रहे हैं. उनके इस रुख पर फेसबुक यूजर्स उनकी तारीफ कर रहे हैं और उन्हें राजद ज्वाइन करने की सलाह दे रहे हैं. नौकरशाही डॉट कॉम ने उनसे इस विषय पर राय मांगी.
श्याम रजक ने हमारे सम्पादक इर्शादुल हक से बातचीत में कहा कि हर किसी से अपनी रणनीति नहीं बतायी जा सकती. हालांकि उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि मैं जहां (जदयू) हूं वहां संतुष्ट हूं.
श्याम रजक बिहार कैबिनेट के अनेक बार मंत्री रह चुके हैं. फिलवक्त वह विधान मंडल में जदयू के उपनेता हैं. श्याम रजक ने कहा कि हम बहुजनों में चेतना विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं. इसलिए दलितों के स्वाभिमान को जागृत कर रहे हैं.
इससे पहले रजक ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चुनौती देते हुए कहा था कि सवर्णों को सोचना चाहिए कि दलितों को शिक्षा से वंचित रखने के कारण ही विदेशियों ने भारत पर राज किया. इसलिए उन्हें सवर्णों को प्रायश्चित करना चाहिए.
गौरतलब है कि बीते दिन रामास्वामी पेरियार की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने पर प्रतिक्रिया देते हुए रजक ने कहा था की अपने अरध्य की प्रतिमा की रक्षा नहीं कर पाना तिल-तिल मरने के समान है. उन्होंने दलितों को झकझोड़ते हुए कहा था कि तिल तिल मरने से अच्छा है कि संघर्ष करके मर जाया जाये.
श्याम रजक के इस बयान पर फेसबुक पर अनेक लोगों ने उनसे आग्रह किया कि उन्हें मनुवादियों का साथ छोड़ कर राजद ज्वाइन कर लेना चाहिए.
राजीव कुमार ने फेसबुक पर श्याम रजक से अपील की है कि JDU छोड़ कर ऐसी बात बोलें तो ज्यादा अच्छा रहेगा ! आज जो दलित चिंतक और दलित शिरोमणियों की मूर्तियों पर आक्रमण करा रहें है , उन लोगों के साथ आपका दल बिहार में सहयोगी गठबंधन में है !
मोहम्मद वसीम ने लिखा है जहाँ ( राजद) से सिखने का मौका मिला हेै राजनितिक करने को।वही फिर से आ जाइये रजक जी.
रविकृष्ण मुरारी ने श्याम रजक ने नौकरशाही डॉट कॉम का लिंक शेयर किया है. उस पर रवि कृष्ण मुरारी ने लिखा है कि सर राजद ज्वाइन कर लीजिए.
इफ्तखार आलम ने टिप्पणी की है कि इधर रजक जी के बयानों से लगता है कि जदयू उन्हें तरजीह नहीं दे रहा है और वो दबाव की राजनीति शुरू किये हैं या फिर पार्टी छोड़ने का इरादा है.
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