उप्र की योगी आदित्यनाथ सरकार के एक फैसले से प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। भाजपा सरकार ने फैसला लिया है कि किसी भी जिले में यादव और मुस्लिम अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रखा जाएगा। इसकी शुरुआत 10 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव से की जा रही है। जिन जिलों में उपचुनाव होना है, वहां डीएम तथा एसपी यादव और मुस्लिम नहीं होंगे। भाजपा सरकार के इस फैसले पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कहा कि इससे साफ है कि सरकार चुनाव में अफसरों को बेजा इस्तेमाल करना चाहती है। उन्होंने चुनाव आयोग से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। याद रहे चुनाव सुधार के लिए सक्रिय एक एनजीओ ADR ने लोकसभा चुनाव में 79 सीटों पर कुल मतदान से ज्यादा मत गिन दिए का दावा किया है। एनजीओ ने इस मामले में चुनाव आयोग से शिकायत भी की है, लेकिन आयोग ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
योगी सरकार से ब्राह्मण पहले ही नाराज हैं। अब इस प्रकार यादव-मुस्लिम अफसरों को फील्ड ड्यूटी से अगल रखने के निर्णय से नया विवाद खड़ा हो गया है। सरकार के इस निर्णय से अफसरशाही में भी जातीय गुटबंदी बढ़ेगी। यह सुशासन के लिए बहुत ही खराब स्थिति है।
—————
हमने लड़कर रेल कारखाना बनाया, नीतीश गिड़गिड़ा क्यों रहे : लालू
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- जब उपचुनावों में भी भाजपा को हराने के लिए जनता फ़ील्ड में उतर चुकी है तो भाजपा कुछ अधिकारियों को हटाने का कितना भी शासकीय-प्रशासकीय नाटक कर ले, कोई उनको पराजय से रोक नहीं सकता। देखना ये भी है कि इनकी जगह जो अफ़सर आएंगे, उनकी निष्पक्षता पर मोहर कौन लगाएगा। भाजपा उपचुनावों में अपनी 10/10 की हार के अपमान से बचने के बहाने ना ढूँढे। अगर भाजपा जन-विरोधी नहीं होती तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते। महँगाई, बेरोज़गारी, बेकारी, पुलिस भर्ती, नीट परीक्षा, महिला-सुरक्षा, संविधान और आरक्षण की रक्षा, नज़ूल भूमि जैसे मुद्दों से लड़ने के लिए भाजपा कब और किसे नियुक्त करेगी? कुछ विशेष अधिकारियों को चुनावी ज़िम्मेदारी से हटाने की बात कहकर, भाजपाइयों ने ये बात स्वीकार कर ली है कि उनकी सरकार में शायद कुछ चुनावी घपले अधिकारियों के स्तर पर होते हैं। ये भाजपा की अपनी सरकार के साथ-ही-साथ चुनाव आयोग के ऊपर भी… चुनाव आयोग स्वत: संज्ञान ले।
जेल से छूटे अनंत, क्या नीतीश सरकार बचाने का मिला इनाम?