युवा शक्ति के डर से भूल गए बुलडोजर, कहा ये अपने ही बच्चे
चार दिन पहले तक सोशल मीडिया पर रंग-बिरंगे बुलडोजर की भरमार थी। अग्निपथ के खिलाफ युवा शक्ति के डर से भूल गए बुलडोजर। बड़े अधिकारी बोले, ये अपने ही बच्चे।
किसी को लग सकता है कि समय का पहिया चार दिनों में कुछ ज्यादा ही तेज हो गया है। लग रहा था कि देश में बुलडोजर राज आ गया है। पैगंबर मोहम्मद साहब पर अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ आंदोलन करनेवालों के घर ढाहे जा रहे थे, लोग पूछ रहे हैं कि अब कहां गया बुलडोजर। आज तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र बनारस में भी युवाओं ने अग्निपथ के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया। सरकारी बसों को नुकसान पहुंचाया। जब एक बड़े पुलिस पुलिस अधिकारी से पूछा गया कि क्या कार्रवाई होगी, तो उन्होंने संयमित स्वर में कहा कि ये अपने ही बच्चे हैं। इन्हें समझाया जाएगा। ये देखिए वीडियो-
अच्छी बात है ये आपके ही बच्चे हैं और इनको सिर्फ़ समझाने की ज़रूरत है।
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) June 17, 2022
लेकिन सहारनपुर के थाने में लाठियों से पीटे जाने वाले किसके बच्चे थे ? https://t.co/dBaZ6cu9IA
संविधान में भले ही कहा गया है कि देश में सबका अधिकार समान है। लेकिन प्रशासन किन्हें अपना बच्चा मानेगा और किन्हें पराया मान कर घर ढाह देगा, यह समझा जा सकता है। बुलडोजर समर्थक भीड़ युवा आंदोलनकारियों को उपद्रवी से ज्यादा कुछ नहीं कह पा रही है। यह ठीक है कि कोई उपद्रव का समर्थन नहीं कर सकता, पर यह सवाल जरूर बनता है कि इस उपद्रव की स्थिति किसने बनाई। किस फैसले के कारण उपद्रव हो रहे हैं। अगर सरकार सेना में ठेके पर बहाली नहीं करती, तो निश्चित ही आज हालात सामान्य होते।
पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा-ये अपने बच्चे हैं, इसलिए परेशान किया जा रहा है। वो अपने नहीं, इसलिए बुलडोजर चल रहा है। पत्रकार अजीत अंजुम ने अलीगढ़ की पुलिस चौकी में तोड़फोड़ का वीडियो जारी करते हुए लिखा-ये हाल अलीगढ़ जिले की एक पुलिस चौकी है . ये Minor Incidents है न ADG साहब ? और क्यों ये Minor Incidents है ये आपसे बेहतर कौन जानता है। शुक्रवार तो आज भी है लेकिन ये नमाज़ी नहीं हैं। फर्क ये है न?
स्टोरी टेलर दाराब फारूखी ने कहा- “ये हमारे ही बच्चे हैं।” मुसलमानों के बच्चे लावारिस हैं, उन्हें हमेशा गोली मारी जाएगी। ज़लील किया जायेगा, थाने में लिटा कर बेरहमी से पीटा जायेगा। उनको जेलों में डाल कर उनकी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी जायेगी, लेकिन ये वाले, सिर्फ ये एक विशेष धर्म वाले… हमारे बच्चे हैं। पत्रकार साक्षी जोशी ने कहा-क्यों भई?मालिक का वोटबैंक हैं इसलिए! पुलिस ने भी क़ानून की धज्जियाँ उड़ा रखी हैं। मोहम्मद , सैफ़, सुलेमान, आतिफ़ जैसे नाम दिखते हैं तो सीधा बुलडोज़र। मैं हैरान हूँ कि देश की न्यायपालिका इस तरह का खुलेआम भेदभाव यूँ होने देती है।
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