युवक सीधे CM की पत्नी के पास पहुंच गया, फिर तो गजबे हुआ
जब पद और सत्ता का घमंड सिर चढ़कर बोल रहा हो, उस दौर में एक युवक सीधे CM की पत्नी के पास पहुंच गया, फिर तो गजबे हुआ। पढ़िए क्या हुआ-
क्या कोई युवक किसी मुख्यमंत्री के निजी आवास में प्रवेश कर सकता है, क्या रोजगार की मांग के साथ कोई युवक किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री की पत्नी से मिल सकता है? उत्तर ना में ही होगा। मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश पाना ही मुश्किल है, कर भी गए, तो परिवार से मिलना मुश्किल, मिल भी गए, तो स्वागत और आवभगत की कल्पना नहीं कर सकते, क्या कोई मुख्यमंत्री का परिवार आपकी वापसी के लिए भी खाना पैक करके देगा, ये सब अकल्पनीय लगता है, लेकिन ठहरिए यह छत्तीसगढ़ है, जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं, जहां ऐसा संभव हुआ।
एक युवक रोजगार की समस्या को लोकर सीधे मुख्यमंत्री आवास के भीतर पहुंच गया। पहुंचने के बाद वह मुख्यमंत्री की पत्नी से मिला। उन्होंने कहा, बेटा, तुम दूर से आए, पहले नाश्ता करो। नाश्ता कराया। फिर समस्या सुनी। डीएम को फोन करके समस्या से अवगत कराया। वापसी की यात्रा का प्रबंध किया और यही नहीं, रास्ते के लिए खाना भी पैक करके दिया। इसके बाद युवक ने क्या कहा, आप सोच सकते हैं।
आयुष पांडेय ने लॉ की पढ़ाई की है। दिल्ली विवि के पूर्व छात्र हैं। उनके ट्विटर प्रोफाइल से जानकारी मिलती है कि वे कांग्रेस से जुड़े हैं। उन्होंने यह खास वाकया शेयर किया है। वे लिखते हैं-तस्वीर में दिख रहे युवक का नाम दीपक यादव है जो छत्तीसगढ़ के पत्थलगांव निवासी हैं। रोज़गार संबंधी अपनी समस्या को लेकर सीधे मुख्यमंत्री के निज निवास, भिलाई पहुँच गए। मुख्यमंत्री जी की पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल जी और पुत्र ने घर में अंदर बुलाया, नाश्ता कराया और वापस घर भेजने की व्यवस्था की। साथ ही दीपक की समस्या को लेकर समाधान के लिए कलेक्टर को अवगत करा दिया।
दिलचस्प क़िस्सा पढ़िए..👇
— Ayush Pandey🇮🇳 (@ayushconnects) March 16, 2023
तस्वीर में दिख रहे युवक का नाम दीपक यादव है जो छत्तीसगढ़ के पत्थलगाँव निवासी हैं.
रोज़गार संबंधी अपनी समस्या को लेकर सीधे मुख्यमंत्री के निज निवास, भिलाई पहुँच गए.
मुख्यमंत्री जी की पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल जी और पुत्र ने घर में अंदर बुलाया, नाश्ता… https://t.co/jy0j4NydpX pic.twitter.com/tkzh3lycvP
मुख्यमंत्री की बेटी ने उसके रास्ते के लिये खाने-पीने का सामान देकर विदा किया। दीपक बहुत खुश हैं। कह रहे हैं कि परिवार से मिलने से ज़िंदगी के जो सपने खो गए थे वो फिर से ज़िंदा हो गये हैं। लोकतंत्र में एक नागरिक अधिकारपूर्वक अपने मुखिया से अपेक्षा रखता है. और यही सहजता से उस का लोकतंत्र पर विश्वास बना रहता है। दीपक को शुभकामनाएं।
इस वाकया से यही कहिए कि यह सादगी, यह अपनापन बेहद जरूरी है।
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