14 अगस्त 1935 को सैनिटरी इंस्पेक्टर अब्दुर्रहीम खान साहब के घर जन्मे ज़ियाउल्लाह खान में समाजसेवा का जुनूर बचपन से ही था। 42 वर्ष की आयु में 20 नवंबर 1977 को वे सर्वप्रथम पटना नगर निगम अंतर्गत वार्ड 24 में बतौर पार्षद निर्वाचित हुए। परिसीमन उपरांत उन्होंने 1983 एवं 2002 में क्रमशः वार्ड 31 व वार्ड 50 का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1990 से 2002 तक वे पटना के उप महापौर रहे। जनप्रतिनिधि होने का महत्त्व वो बख़ूबी समझते थे। यही कारण था कि न तो अधिकारियों के आगे झुके न ही कभी उनकी जी हुज़ूरी की। राजनीतिक प्रतिद्वंदिता को उन्होंने व्यक्तिगत संबंधों में कभी आड़े नहीं आने दिया। जनता का काम करवाने की उनमें अद्भुत प्रतिभा थी, साथ ही वे निगम कर्मचारियों के हक़ हुक़ूक़ों की लड़ाई में भी कभी पीछे नहीं रहे। वे प्रखर वक्ता भी थे। उनकी वाणी का ओज और प्राण श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था। वे पक्के दोस्तपरस्त थे। उस ज़माने के पार्षदों में बैजनाथ गोप, जगदीश प्रसाद यादव एवं श्याम बाबू राय आदि कुछ उनके ऐसे ही दोस्त थे जो एक दूसरे पर जान छिड़कते थे। कसेरा टोली निवासी महेंद्र प्रसाद कसेरा भी उनके अनन्य मित्रों में से थे।
खान साब शिकार के बड़े शौक़ीन थे। पर, शिकार के नियमों का अनुपालन करना वे कभी नहीं भूलते। कभी भी बैठे हुए परिंदों का शिकार उन्होंने नहीं किया। खाने खिलाने के भी वे बड़े शौक़ीन थे। लोगों से मिलना-जुलना और घूमना-फिरना उन्हें अत्यंत रुचिकर था। राजनीति को उन्होंने सर्वदा सेवा और मिशन समझा। यही कारण है कि उन्होंने सर्जना पर ध्यान दिया, अर्जन पर कभी नहीं। उन्हें झूठ से सख़्त नफ़रत थी।
29 जुलाई 2020 की मनहूस सुबह 3 बजकर 20 मिनट पर पटना सिटी के कंघइया तोला स्थित अपने निवास स्थान पर Ziaullah Khan जिन्हे लोग “नम्मू चाचा” कहते थे ने अंतिम सांस ली और इस तरह से गंगा-जमुनी तहज़ीब के पक्के हामी और निष्ठावान समाजसेवी की जीवन यात्रा का अवसान हो गया।