चुने गए कर्नाटक के CM, कांग्रेस में जोश क्यों, भाजपा बेहोश क्यों?

कांग्रेस ने जिस प्रकार CM के लिए सिद्दारमैया, Dy CM के लिए डीके का नाम तय किया, उससे भाजपा की बोलती बंद। तीन कारणों से कांग्रेस में जोश और भाजपा बेहोश।

कुमार अनिल

कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्दारमैया तथा उप मुख्यमंत्री के रूप में डीके शिव कुमार का नाम तय कर दिया। गुरुवार को कांग्रेस ने इसका औपचारिक एलान कर दिया। कांग्रेस ने जिस प्रकार मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का नाम तय किया, उससे उसमें जोश है। चयन की प्रकिया लोकतांत्रित रही। सबसे पहले विधायकों की राय जानी गई। बहुमत सिद्दारमैया के पक्ष में था, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन राज्य के दूसरे सबसे बड़े नेता डीके शिव कुमार का नाम भी सम्मानपूर्वक उप मुख्यमंत्री के लिए तय किया। नाम तय होने के बाद कांग्रेस ने भाजपा से अपनी एक और विभाजन रेखा खींच दी है।

भाजपा कांग्रेस पर तीन आरोप लगाती रही है। पहला कि कांग्रेस मतलब गांधी परिवार। अब कर्नाटक में जिस प्रकार मुख्यमंत्री की चुनाव किया गया, उससे भाजपा का आरोप बेदम हो गया है। देश ने देखा कि कर्नाटक का फैसला गांधी परिवार ने नहीं लिया। विधायकों की राय पर फैसला हुआ। फिर डीके के लिए सबकी सहमति बनाई गई। कांग्रेस पर भाजपा का दूसरा आरोप रहा है कि सबकुछ आलाकमान तय करता है, जबकि भाजपा में कार्यकर्ता की बात सुनी जाती है। इस मामले में भी कांग्रेस ने दिखाया कि किसी आलाकमान ने रातों रात नाम तय नहीं किया, बल्कि सबकी राय और सबकी भागीदारी से दोनों नाम तय किए गए। भाजपा का तीसरा आरोप रहा है कि कांग्रेस का नेतृत्व कमजोर है। वह फैसले नहीं ले पाता। इस मामले में भी कांग्रेस ने दिखाया कि नेतृत्व न तो कमजोर है और न ही किसी के दबाव में आता है। उसने विधायकों की बैठक के तीसरे दिन फैसला ले लिया।

भाजपा के तीनों आरोपों पर कांग्रेस हमलावर है। उसमें जोश दिख रहा है। कर्नाटक के लिए नाम तय करने के बाद वह भाजपा पर हमलावर हो गई है। वह कह रही है कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष खड़गे के आवास पर गए। चर्चा की। क्या प्रधानमंत्री मोदी नड्डा के घर जाएंगे? पूरी प्रक्रिया के केंद्र में खड़गे रहे, जबकि भाजपा में अध्यक्ष को कोई पूछता नहीं। कांग्रेस में लोकतंत्र है, सबकी राय और सबकी भागीदारी से निर्णय होते हैं, जबकि भाजपा में अकेले प्रधानमंत्री मोदी की मर्जी चलती है। कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है, जबकि भाजपा व्यक्ति केंद्रित पार्टी बन कर रह गई है।

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