हल्ला नीतीश के बारे में उड़ाया और खेला करवा रहे कुशवाहा से

भाजपा समर्थक रोज पूछ रहे थे कि नीतीश कब पलटी मार रहे और दिल्ली के एम्स में उपेंद्र कुशवाहा से मिलने पहुंच गया BJP प्रतिनिधि मंडल। समझिए खेला…।

कुमार अनिल

बिहार का खेला देखकर कई लोग चकरा गए हैं। भाजपा समर्थक रोज पत्रकारों को फोन करके पूछते रहे कि नीतीश कुमार कब पलटी मार रहे हैं। राजद और जदयू में पट नहीं रहा है, लगता नहीं है कि सरकार चलेगी। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का ट्यूनिंग गड़बड़ा गया है। भाजपा समर्थक मीडिया भी इसी तरह के सवालों में बिहार की राजनीति को घुमाता रहा। सबका ध्यान नीतीश कुमार पर चला गया, तो धीरे से भाजपा के नेताओं का प्रतिनिधि मंडल जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मिलने एम्स पहुंच गया। कुशवाहा बीमार नहीं हैं, बल्कि रूटीन चेकअप के लिए भर्ती हुए हैं। कुशवाहा का एम्स जाना और भाजपा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल का पहुंचना दोनों संयोग नहीं है, बल्कि रणनीति का हिस्सा है।

भले ही कुछ लोग अब चौंके हों, पर नौकरशाही डॉट कॉम ने 15 दिनों में दो बार आगाह कर दिया था कि उपेंद्र कुशवाहा भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं और वह भी तेजी से। नौकरशाही डॉट कॉम की खबर अब साफ तौर पर पुष्ट हो रही है। जो लोग अब भी मान रहे हैं कि भाजपा के तीन नेताओं का एम्स जाकर कुशवाहा से मिलना संयोग या औपचारिकता है, वे या तो राजनीति समझते ही नहीं, बहुत भोले हैं या भाजपा के प्रचारक हैं और राजनीति खूब समझते हैं, शातिर हैं।

क्या Upendra Kushwaha भाजपा की तरफ जाने की तैयारी कर चुके

भाजपा एक साथ दो खेल खेलती रही। एक तरफ वह नीतीश कुमार पलटी मारेंगे का शोर मचा कर उनकी विश्वनीयता कमजोर करने में लगे रहे, ताकि उनकी राष्ट्रीय राजनीति में हस्तक्षेप की कोशिश जोर पकड़ने से पहले ही फेल हो जाए तथा दूसरी तरफ सबका ध्यान बंटा कर उपेंद्र कुशवाहा की महत्वाकांक्षा को हवा देती रही। कुशवाहा कुलबुलाते रहे। कभी कहा कि उन्हें दो साल से बैठा कर रखा गया है, कभी कहा कि संगठन कमजोर हो गया है। कभी नीतीश से दूरी तो कभी ललन सिंह से दूरी दिखाते रहे।

नौकरशाही डॉट कॉम ने पहले ही लिख दिया था कि ज्यादा संभावना इस बात की है कि कुशवाहा भाजपा में शामिल होने के बजाय फिर से रालोसपा को जीवित करना चाहेंगे। यही भाजपा भी चाहती है। आप इसे उल्टा करके भी मान सकते हैं कि भाजपा की इच्छा के अनुसार कुशवाहा काम करने को तैयार हैं। नौकरशाही डॉट कॉम ने यह भी लिखा था कि रालोसपा को जीवित करना आसान है, क्योंकि वह तकनीकी रूप से अब भी जिंदा है।

भाजपा जानती है कि नीतीश कुमार अब 2024 तक उसकी तरफ आने वाले नहीं हैं। वे विपक्ष की राजनीति करेंगे। भाजपा हमेशा दो तरफा बात करने के लिए जानी जाती है। उसके एक नेता कहते हैं कि नीतीश पलटी मारने को तैयार हैं और एक दूसरे नेता ने शनिवार को कहा कि नीतीश कुमार को भाजपा लेगी ही नहीं।

भाजपा की मुश्किल यह है कि देशभर में वह अलग-थलग पड़ गई है। उसके साथ गठबंधन में अब कोई बड़ा दल नहीं रहा। उसे दिखाना है कि उसके साथ भी गठबंधन है। वह अकेली नहीं है। भाजपा के बारे में लोग मान गए हैं कि जिस दल ने उसे साथ गठबंधन बनाया, वह उसे ही खा जाती है। नीतीश कुमार के साथ वह 2020 में ऐसी कोशिश कर चुकी है।

मालूम हो कि उपेंद्र कुशवाहा से भाजपा के तीन नेता प्रेम रंजन पटेल, संजय टाइगर और योगेंद्र पासवान शुक्रवार को एम्स में मिले। जल्द ही कुशवाहा अपनी पुरानी पार्टी फिर से जिंदा करें, तो आश्चर्य नहीं।

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