नफरती ताकतों के उभार से मुस्लिम डरे, चुप हैं अदालतें : पूर्व जस्टिस शाह

नफरती ताकतों के उभार से मुस्लिम डरे, चुप हैं अदालतें : पूर्व जस्टिस शाह। यह भी कहा कि सांप्रदायिकता और असहिष्णुता के उभार को राजनीतिक समर्थन हासिल है।

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस (अवकाशप्राप्त) एपी शाह ने कहा कि देश में सांप्रदायिकता और असहिष्णुता का उभार देख रहा है। धार्मिक राष्ट्रवाद के इस उभार को राजनीतिक समर्थन प्राप्त हैं। इस स्थिति में देश के अल्पसंख्यक खासकर मुसलमान डरे हुए हैं। देश की अदालतें भी चुप हैं। जस्टिस शाह ने ये बातें 25वें डीएस बोर्कर मेमोरियल लेक्चर के दौरान कहीं। कार्यक्रम में वे ‘भारत का मेरा दृष्टिकोण: 2047’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। जस्टिस शाह विधि आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

उन्होंने कहा कि अब वे भारत में असहिष्णु और सांप्रदायिक ताकतों का उदय देख रहे हैं। यह उभार आंशिक रूप से पिछली सरकारों से मोहभंग के कारण पैदा हुआ है। हमारे देश का कानूनी ढांचा दुराग्रह करने की प्रवृत्ति के दायरे को बढ़ा रहा है।

जस्टिस शाह ने कहा कि देश में सांप्रदायिकता का यह उभार चिंताजनक है। यह धार्मिक राष्ट्रवाद का एक गंभीर विभाजनकारी रूप है। इसे शक्तिशाली राजनीतिक समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि सावरकर के हिंदू राष्ट्र को साकार करनेवाले राजनीतिक समूह का समर्थन प्राप्त है। सावरकर का दृष्टिकोण बेहद संकीर्ण है। लोगों को भूगोल या धर्म से परिभाषित नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक राष्ट्र कठोर एकरूपता या अलगाव की कोठरियां नहीं हैं।

जस्टिस शाह ने कहा कि यह हंगामाखेज़ दृष्टिकोण आज भारत में इस हद तक प्रचारित किया जा रहा है कि अल्पसंख्यक भय में जी रहे हैं। उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बना देने की कोशिश हो रही है। नूंह और दिल्ली में हुई घटनाएं इस भावना को और आगे बढ़ाती है। मुठभेड़ में हत्याएं, अल्पसंख्यक समुदायों के व्यापारियों पर पंचायत में लगाया जा रहा प्रतिबंध और ‘बुलडोजर राजनीति’ जैसे न्यायेतर उपकरणों ने इस स्थिति को और खराब कर दिया है।

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By Editor


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