राष्ट्रीय राजनीति में 13 के बाद भूचाल, बिहार बनेगा केंद्र

राष्ट्रीय राजनीति में 13 के बाद भूचाल की तैयारी चल रही है। जानिए क्या है राजद प्रमुख लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्लान।

राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद पटना में हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिल चुके हैं। अब मगंलवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले। राष्ट्रीय राजनीति में 13 के बाद भूचाल की तैयारी चल रही है। यह भूचाल भाजपा के लिए मुसीबत बनने वाला है। जानिए क्या है लालू और नीतीश का प्लान।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मंगलवार को झारखंड के मुख्यमंत्री से मिल कर उस रणनीति पर चर्चा की, जिसे लालू प्रसाद और नीतीश कुमार आगे बढ़ा रहे हैं। याद रहे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जब ममता बनर्जी से मिले थे, तब ममता ने कहा था कि हम सब मिल कर 2024 में भाजपा को केंद्र की सत्ता से बाहर करेंगे। इसके लिए 1974 जैसे अभियान की जरूरत है, जो बिहार से शुरू होना चाहिए।

लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों ही 2024 में केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार को बाहर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिसके दो महत्वपूर्ण पक्ष हैं। पहला, सपूर्ण विपक्ष को एक करना तथा इस एकता का आधार कार्यक्रम बनाना। एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाना और उस पर सभी दलों की सहमति लेना। रणनीति का दूसरा पक्ष है लोकसभा चुनाव में हर सीट पर भाजपा को कड़ी टक्कर देना, इसके लिए भाजपा विरोधी मतों के बंटवारे को रोकना। इसका अर्थ है हर सीट पर भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक ही साझा उम्मीदवार तय करना। ये दोनों कार्य आसान नहीं हैं, लेकिन असंभव भी नहीं हैं।

नौकरशाही डॉट कॉम ने उसी दिन अपना यह आकलन प्रकाशित किया था, जिस दिन लालू प्रसाद दिल्ली से बिहार आए थे। कल होकर नीतीश कुमार ने नौकरशाही डॉट कॉम की खबर पर मुहर लगाते हुए कहा था कि कर्नाटक चुनाव के बाद पटना में देश के सभी विपक्षी दलों की बैठक होगी। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की उसी घोषणा को अमल में लाने के लिए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले।

झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं, जिनमें भाजपा का 11 सीटों पर कब्जा है। विपक्ष की कोशिश होगी कि इस बार खेल को पलट दिया जाए और 11 सीटों पर जेएमएम, कांग्रेस, राजद, जदयू का कब्जा हो। अगर विपक्षी दलों की एकता बनी, तो ऐसा होना असंभव नहीं है।

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