इंजीनियिरंग के दो छात्रों को कार से कुचल कर जान लेने वाली कार के बारे में खुलासा हुआ है कि यह एक जुडिसियल मजेस्ट्रेट की गाड़ी थी. इतना ही नहीं इस गाड़ी से शराब की बोतलें बरामद हुई हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इंसाफ करने वाले इन मजिस्ट्रेट पर क्या कार्रवाई होगी.
विनायक विजेता
शराबबंदी तोड़ने वाले साधारण से ऊंची पहुंच वाले लोगों को भी जेल का रास्ता दिखाने के लिए कृत संकल्पित बिहार सरकार उस न्यायिक दण्डाधिकारी के खिलाफ क्या कार्यवाई का आदेश जारी करेगी जिनकी नीली बत्ती लगी कार ने सोमवार को दोपहर बाद जहानाबाद के काको के रहने वाले इंजीनियरिंग के दो होनहार छात्रों का कुचल कर मार डाला।
न्यायिक पदाधिकारी संजीव के राय की थी गाड़ी
बीआर 01पीबी-5569 नंबर की उजले रंग की नीली बत्ती लगी यह कार न्यायिक पदाधिकारी संजीव कुमार राय के नाम से निबंधित है जो भारतीय स्टेट बैंक से निर्गत कार लोन पर लिया गया है। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त इस गाड़ी की पिछली सीट मयखाना में तब्दील थी। अ्रंग्रेजी शराब रॉयल स्टेग का एक खाली अद्धा जिसमें से निकाली गई शराब को मिनरल वाटर के बोतल में डाल कर रखा गया था और पानी की एक अन्य खाली बोतल गाड़ी की पिछले सीट पर पड़ी मिली। इस गाड़ी ने जिन दो छात्रों तौसीफ आलम व अल्तमश आलम को अपना शिकार बनाया वे दोनों पटना स्थित आरपीएस इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र थे और पटना से अपनी बाईक से काको (जहानाबाद) लौट रहे थे।
तभी जहानाबाद की ओर से आ रही जज की कार ने दोनों को कुचल डाला जिसे दोनों की मौत हो गई। गौरतलब है कि नदवां से नीमा गांव के कुछ आगे तक सिंगल रोड है जहां गाड़ियां धीरे ही चलती हैं।
दुर्घटना की भयावता से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि कार चाहे जो चला रहा हो वह नशे में था और कार से अपना नियंत्रण खो चुका था। चर्चा है कि इस गाड़ी पर गया में एसीजेएम पद पर पदस्थापित संजीव कुमार राय और उनका अंगरक्षक भी था जो मौका देखकर या नीमा गांव के ग्रामीणों के सहयोग से किसी दूसरी गाड़ी या चंद कदम पर दूर नीमा हॉल्ट रेलवे स्टेशन से कोई ट्रेन पकड़ फरार हो गए।
हालांकि यह पुलिसिया जांच का विषय है कि एसीजेएम खुद गाड़ी में थे या नहीं। गाड़ी में संजीव कुमार राय के नाम से एसबीआइ्र का एक पासबुक भी मिला है जिसपर संजीव राय की फोटो भी लगी है।
हालांकि घटना के बाद कुछ दूर आगे एक पेड़ से टकराकर रुकी इस गाड़ी में जख्मी हालत में चालक मिला पर किसी चालक में इतनी हिम्मत नहीं कि वो नीली बत्ती लगी अपने न्यायिक पदाधिकारी की गाड़ी में खुलेआम शराब का सेवन करे।
सुप्रीम कोअ्र के एक आदेश के बाद सभी राज्यों के परिवहन विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर लाल, पीली और नीली बत्ती के प्रयोग के लिए नियम जारी किया था ऐसी बत्तियां वैसी ही गाड़ियों में लगेंगी जो सरकार द्वारा उपयोग के लिए दी गई हो न कि अपनी गाड़ी में।
अगर कोई न्यायिक पदाधिकारी अपनी प्राइवेट गाड़ी में नीली बत्ती का उपयोग करते भी हैं तो वैसे समय तक ही कि जब वो खुद गाड़ी में मौजूद हो अन्यथा इस बत्ती को ढककर रखनी है। कल की घटना के वक्त गाड़ी की बत्ती ढकी नहीं थी जो यह इंगित करता है कि घटना के वक्त एसीजेएम खुद गाड़ी में मौजूद थे। बहरहाल पूरे बिहार में शराबबंदी के बाद किसी न्यायिक पदाधिकारी की गाड़ी में मिली शराब की बोतल पर होने वाली कार्यवाई की ओर अब पूरे बिहार की जनता की नजरें गड़ी हैं.