सीबीआई के निदेशक पद से हटाये जाने के बाद आलोक वर्मा ने भारतीय पुलिस सेवा से ही इस्तीफा दे दिया। उन्हें गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने उन्हें सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया था और उनका स्थानांतरण फायर सर्विसेज एंड होमगार्ड में डीजी पद पर कर दिया गया था, जिसका उन्होंने इनकार कर दिया था।
नौकरशाही डेस्क
शुक्रवार को आलोक वर्मा ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि उनके साथ स्वाभाविक न्याय नहीं किया गया और उन्हें अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया गया, जैसा कि सीवीसी रिकॉर्ड में हुआ करता था। मुझे सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटा दिया गया और इस प्रक्रिया में स्वाभाविक न्याय का गला घोंटा गया और पूरी प्रक्रिया को उलट-पुलट दिया गया।
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उन्होंने कहा कि चयन समिति ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया कि सीवीसी की पूरी रिपोर्ट एक ऐसे शिकायतकर्ता के आरोपों पर आधारित थी, जो खुद सीबीआई जांच के घेरे में है। वर्मा ने कहा कि संस्थाएं हमारे लोकतंत्र की सबसे मजबूत और दृश्यवान प्रतीक हैं। इसलिए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सीबीआई आज भारत के सबसे महत्वपूर्ण संगठनों में से है।
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उन्होंने कहा कि कल का निर्णय इस बात का सबूत है कि एक संस्था के रूप में सीबीआई के साथ सरकार किस तरह का सुलूक कर रही है। एक अफसरशाह के रूप में अपने चार दशकों के कार्यकाल में मैं हमेशा ईमानदारी के रास्ते पर चला हूं। आईपीएस के रूप में भी मेरा रेकॉर्ड बेदाग रहा है। मैंने अंडमान-निकोबार, पुडुच्चेरी, मिजोरम, दिल्ली में पुलिस बलों की अगुवाई की। दिल्ली कारागार तथा सीबीआई की भी अगुवाई की। मुझे इन सब बलों से अमूल्य समर्थन मिला है।
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वर्मा ने ये भी लिखा कि मैं 31 जुलाई,2017 को ही रिटायर हो चुका हूं और 31 जनवरी, 2019 तक की अवधि के लिए सीबीआई के डायरेक्टर पद पर काम कर रहा था, जो कि निश्चित अवधि की एक भूमिका थी। मैं अब सीबीआई डायरेक्टर नहीं हूं और मैं डीजी फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस एवं होमगॉर्ड पद के लिए रिटायरमेंट की उम्र पार कर चुका हूं. इसलिए मुझे आज से ही रिटायर मान लिया जाए।
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया था। उन्हें सरकार ने करीब दो महीने पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था। वर्मा ने सीबीआई से उन्हें हटाए जाने के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।