अवैध घुसपैठ रोकने के लिए गृह मंत्री ने की भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्मार्ट फैंसिंग की शुरुआत
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज असम के धुबरी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली के तहत बीओएलडी-क्यूयूआईटी (बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्शन तकनीक) परियोजना का उद्घाटन किया। इससे अवैध घुसपैठ, प्रतिबंधित सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सीमा पार आतंकवाद जैसे अपराधों का पता लगाने और उन्हें नियंत्रित करने में बीएसएफ की क्षमता में काफी सुधार आएगा।
नौकरशाही डेस्क
परियोजना का उद्धाटन करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि सितम्बर, 2018 में सीआईबीएमएस कार्यक्रम के तहत जम्मू में स्मार्ट सीमा फैंसिंग की दो पायलट परियोजनाओं का संचालन किया गया था। धुबरी में बीओएलडी -क्यूआईटी परियोजना को नदी की सीमा के साथ-साथ लागू किया गया है क्योंकि वहां सीमा फैंसिंग का निर्माण संभव नहीं था। धुबरी में यह 61 किलोमीटर लंबा सीमा क्षेत्र है जहां ब्रह्मपुत्र नदी, बांग्लादेश में प्रवेश करती है। इस क्षेत्र में बरसात के दौरान सीमा की रखवाली का कार्य चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इन समस्याओं को हल करने के लिए गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल की मनाव शक्ति की क्षमता को बढ़ाने के लिए तकनीकी समाधान का उपयोग करने का निर्णय लिया है।[tabs type=”horizontal”][tabs_head][tab_title][/tab_title][/tabs_head][tab]
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आपको बता दें कि भारत-पाकिस्तान सीमा (10 किलोमीटर) और भारत-बांग्लादेश सीमा (61 किलोमीटर) पर लगभग 71 किलोमीटर सीमा पर व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) की दो परियोजनाएं पूरी हो गई हैं। वस्तुगत रूप से बाड़ न हो पाने वाले लगभग 1950 किलोमीटर वाली सीमा के लिए चरण दो और चरण तीन शुरू करने का मार्ग का काम शुरू किया जाएगा। सीआईबीएमएस परियोजना से अवैध घुसपैठ, प्रतिबंधित सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सीमा पार आतंकवाद जैसे अपराधों का पता लगाने और उन्हें नियंत्रित करने में बीएसएफ की क्षमता में काफी सुधार आएगा।
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सीआईबीएम के हिस्से के रूप में ही इन दो परियोजनाओं को शुरू किया गया था। इस परियोजना के कार्यान्वयन से मानव शक्ति सेंसर, नेटवर्क खूफिया और कमांड के एकीकरण और विभिन्न स्तरों पर स्थिति जन्य जागरूकता में सुधार लाने के लिए समाधानों को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी। सीआईबीएमएस में अति आधुनिक निगरानी तकनीकियों एक श्रृंखला की तैनाती शामिल हैं जिसमें थर्मल इमेजर्स, इन्फ्रा-रेड और लेजर-आधारित घुसपैठिए अलार्म, हवाई निगरानी के लिए एयरोस्टेट्स, ग्राउंड सेंसर घुसपैठ के प्रयासों, का पता लगाने और रडार, सोनार प्रणाली, नदी के साथ-साथ सीमाओं को सुरक्षित बनाने तथा फाइबर ओप्टिक सेंसर और कमांड तथा नियंत्रण प्रणाली सभी वास्तविक समय में सभी निगरानी उपकरणों से डाटा प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेंगी। भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीआईबीएमएस परियोजनाओं के कार्यान्वयन से सीमा सुरक्षा बल की क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी।