उच्चतम न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के गुजरात कैडर के पूर्व अधिकारी कुलदीप शर्मा को आज बड़ी राहत प्रदान करते हुए एक संदिग्ध तस्कर के साथ मारपीट के मामले में 28 साल बाद मुकदमा चलाने के राज्य सरकार के आदेश पर आज रोक लगा दी।
गुजरात सरकार ने 2012 में श्री शर्मा के खिलाफ मुकदमा शुरू करने की अनुमति दी थी। उस वक्त वहां नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री थे और उन्होंने 1984 की इस घटना को लेकर पूर्व आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति प्रदान की थी। दोनों के बीच व्यापक टकराव की स्थिति बन गई थी। वर्ष 1984 में श्री शर्मा कच्छ जिले के पुलिस अधीक्षक थे। न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की खंडपीठ ने श्री शर्मा की उस याचिका पर सुनवाई को लेकर सहमति जता दी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें श्री मोदी के खिलाफ सिर उठाने के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
न्यायालय ने निचली अदालत में श्री शर्मा के खिलाफ चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर भी रोक लगा दी। पूर्व अधिकारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि यह एक अनोखा मामला है, जिसमें घटना के 28 साल बाद मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने यह भी दलील दी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उनके मुवक्किल को जेल भेजने की हर तरकीब लगा ली थी। इतना ही नहीं 2007 में उन्हें पदावनत भी किया गया था। न्यायालय ने मुकदमा शुरू करने में हुई देरी के लिए राज्य सरकार को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है।