दुष्कर्म विरोधी विधेयक के रूप में चर्चित आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक-2013, लोकसभा के बाद 21 मार्च को राज्यसभा में भी पास कर दिया गया है. यह विधेयक अब राष्ट्रपति की मुहर लगते ही कानून का रूप ले लेगा.
सब को पता है कि 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में हुए भयावह गैंगरेप कांड के बाद केंद्र सरकार पर यह दबाव था कि वह दुष्कर्म विरोधी एक मजबूत कानून बनाये. ऐसे में जब यह कानून अपने अंतिम रूप में सामने आ चुका है तो यह जानना जरूरी है कि आखिर दुष्कर्म विरोधी विधेयक या आपराधिक कानून(संशोधन) विधेयक 2013 का स्वरूप है क्या.
हम अपने पाठकों के लिए इस विधेयक के सार को पेश कर रहे हैं-
आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक-2013 के मुख्य बिंदु :
• सहमति से सेक्स की उम्र के प्रावधान को 18 वर्ष ही रखी गई है
• पीड़िता की मौत या उसके स्थायी रूप से मृत प्रायः हो जाने के मामलों में सजा को बढ़ाकर मृत्युदंड का प्रावधान
• सामूहिक बलात्कार के मामले में कम से कम सजा बीस वर्ष और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया गया है
• महिलाओं के खिलाफ अपराध की एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले एवं स्वयं ऐसे अपराध करने वाले पुलिसकर्मियों को दण्डित करने का कानून
• महिला से जुड़े अपराधों की सुनवाई में बंद कमरे में होगी
• बलात्कार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है
• तेजाब फेंककर गंभीर नुकसान पहुंचाने, बुरी नियत से पीछा करने या घूरना या बुरी नीयत से देखने आदि को अपराध की श्रेणी में रखा गया है
लोक सभा में चर्चा के दोराण कई सदस्यों ने इस कानून के दुरपयोग की आशंका भी जताई थी