केन्द्र सरकार द्वारा बजट में सबके लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तावित आयुष्मान योजना के तहत जिन दस करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त चिकित्सा के लिए बीमा कवर दिया जाने वाला है उन परिवारों के लिए कोई संख्या निर्धारित नहीं किया जाना जनंसख्या नियंत्रण के नजरिए से चिंता का विषय बन रहा है। 

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में इस योजना के तहत 10 करोड गरीब परिवारों को यह सुविधा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत इन परिवारों को हर साल पांच लाख तक की चिकित्सा सुविधा निशुल्क मिल सकेगी। हालांकि इन दस करोड़ परिवारों में सदस्यों की संख्या कितनी होनी चाहिए इसकी कोई सीमा तय नहीं की गयी है अर्थात यदि किसी परिवार में सदस्यों की संख्या दस हो तो भी वह इस योजना के दायरे में आएंगे ऐसे में बीमा प्रीमियम की राशि का बोझ सरकार पर बढ़ सकता है और इसके लिए आवंटित 2000 हजार करोड़ की राशि पर्याप्त नहीं हो सकती है।

 

जनसंख्या नियंत्रण के लिए काम कर रही संस्थाओं ने इसे लेकर गहरी चिंता जतायी है। पापुलेशन फाउंडेशन आफ इंडिया की र्कायकारी निदेशक पूनम मुटरेजा का कहना है कि देश की ज्यादातर योजनाएं जनसंख्या के दबाव के कारण ही उतनी प्रभावी नहीं हो पातीं जितनी की उन्हें होनी चाहिए । ऐसे में इतनी बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू करने का कदम जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों को प्रभावित कर सकता है। परिवार कल्याण की अन्य याेजनाओं के क्रियान्वयन में मुश्किल आ सकती है ।

By Editor


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