प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि फौजदारी आपराधिक मामलों की तुलना में आर्थिक अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हमें इस दिशा में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी और इसके लिए युद्धस्तर पर काम भी करना होगा। इसके लिए नयी रणनीति बनानी होगी।
रविवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि हमें सोचना होगा कि कहीं फ़ाइवस्टार एक्टिविस्ट कोर्ट को ड्राइव तो नहीं कर रहे हैं। ऐसे माहौल में न्याय देना कहीं मुश्किल तो नहीं हो गया है। उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था तब हाईकोर्ट के एक जज ने बताया था कि हमारी कोर्ट हफ़्ते में दो-तीन दिन चलती है और हर रोज़ दो-तीन घंटे चलती है। क्योंकि हम जिस बिल्डिंग में काम करते हैं, वहाँ उजाला नहीं है, बिजली नहीं है। क्योंकि कोई फ़ाइव स्टार एक्टिविस्ट अदालत में जाकर स्टे ले आया था कि यहां खम्भा नहीं लगेगा इसलिए बिजली नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब नेताओं के ऊपर जितना दबाव है, उतना पहले कभी नहीं था। पहले जिन बातों को गॉसिप कॉलम में भी नहीं जगह मिलती थी, अब ऐसी बातें ब्रेकिंग न्यूज़ बनती हैं, लेकिन न्यायपालिका के साथ ऐसा नहीं है। चाहे लोकपाल हो या आरटीआई, राजनेता अपने ऊपर बंदिशें ख़ुद लगा रहे हैं, लेकिन अदालतों के ऊपर कोई अंकुश नहीं है। अदालतों को ये काम ख़ुद करना होगा। पीएम ने कहा कि आज फ़ॉरेंसिक साइंस का प्रयोग बढ़ रहा है। हमें इसके लिए वकीलों और जजों को प्रशिक्षित करना होगा। हमने इसके लिए गुजरात में फ़ॉरेंसिक साइंस की एक यूनिवर्सिटी खोली थी, जो दुनिया की अपनी तरह की अकेली यूनिवर्सिटी है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कई गैर ज़रूरी क़ानून हैं। मेरा सपना था कि हर दिन एक क़ानून ख़त्म करूं। अभी मैंने 700 कानूनों को ख़त्म करने के लिए कैबिनेट से अप्रूवल ले लिया है। अभी 1700 ऐसे कानून हमारी नज़र में हैं।
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