दलित होना कल अभिशाप था, आज भी है. पर अपने स्वाभिमान, सम्मान की हिफाजत के लिए दलित महिलायें हर लड़ाई लड़ने को तैयार तो हैं पर कौन है जो उनका साथ देगा?
दिल्ली ब्यूरो से आशा मोहिनी की रिपोर्ट
देश भर में विशेषकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्यों में दलित महिलाओं के साथ यौन अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। उच्च जाति के दबंगों द्वारा दलित युवतियों को निर्वस्त्र कर घुमाना, दिन दहाड़े असहाय चश्मदीदों के सामने मार डालना, आंखें निकाल देना और उनके परिवारों को आतंकित करने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।
सामाजिक बहिष्कार
दिल्ली से महज 170 किलोमीटर दूर हरियाणा के हिसार जिले से महज आधे घंटे की दूरी पर स्थित है भगाणा गांव। काफी लंबे समय से इस गांव के जाटों ने खाप पंचायत के साथ मिलकर यहां रहने वाले दलितों का सामाजिक बहिष्कार कर रखा है। कुछ साल पहले बहिष्कार के इस कदम को कुछ आगे बढ़ाते हुए दबंगों द्वारा एक ऐसी भयानक घटना को अंजाम दिया गया, जिससे यहां रहने वाले दलित परिवारों को दिल्ली के जंतर मंतर का रुख करना पड़ा।
जी हां, भगाणा गांव की चार नाबालिग दलित लड़कियों को गांव के कुछेक जाट लड़कों ने अपनी हवस का शिकार बनाया। इसके चलते आज यह लड़कियां मुंह ढककर जंतर मंतर पर रहने को मजबूर हैं। अपने परिवार के साथ अपनी वजूद की लड़ाई लड़ रही इन बच्चियों का साथ गांव के तकरीबन 100 से भी अधिक दलित परिवार दे रहे हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। जंतर-मंतर पर 22 अप्रैल से डेरा डाले इन परिवारों का दर्द इधर उधर बिखरे घर गृहस्थी के सामान से साफ जाहिर होता है। चिलचिलाती धूप, जब तब बरसने वाले बादल और ठंड की सर्दे रातें कैसे कटती यह इनसे पूछा जा सकता है। गौरतलब है कि हरियाणा में दलित उत्पीड़न की स्थिति बेहद गंभीर है।
स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए 23 मार्च को हुई घटना को जानना जरूरी हो जाता है। पूरा मामला कुछ ऐसा है कि 23 मार्च को तकरीबन सात बजे इस गांव के अलग-अलग दलित परिवार की यह चारों लड़कियां शौच के लिए घर से बाहर निकली थीं। जब बहुत देर तक लड़कियां घर वापस नहीं लौटी तो परिवार वालों ने ढूंढना शुरू किया। लेकिन पूरी रात दर-दर भटकने के बाद भी चारों लड़कियों का कोई पता नहीं चला। अगले दिन का सूरज तो निकला लेकिन हताशा और डर के बादल के साथ, मदद की उम्मीद से इन परिवार वालों ने सरपंच का दरवाजा खटखटाया, लेकिन निराशा ही हाथ लगी और यह लोग वापस लौट आए। कुछ देर बाद ही सरपंच का संदेश पाकर की लड़कियां मिल गई हैं, इन परिवार वालों को कुछ तसल्ली मिली और परिवार के कुछ करीबी लोग सरपंच की बताई जगह पर सरपंच के साथ भटिंडा के लिए निकल पड़े।
धमकी पर धमकी
हिसार से लेकर दिल्ली के जंतर मंतर तक इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जगदीश काजला ने बताया कि इन लड़कियों को भटिंडा से वापस लाने के लिए सरपंच और गांव के कुछ लोग गए थे। सरपंच पूरे रास्ते इन लोगों को धमकी देते रहे कि अगर उसके परिवार के किसी सदस्य का नाम आया तो जाने ले ली जाएगी। जबकि जंतर मंतर पर ही पिछले काफी समय से परिवार के साथ रह रही पीड़िता ने बताया कि 23 मार्च को गांव के तकरीबन एक दर्जन लड़के उन्हें जबरन अगवा कर ले गए और तकरीबन 26-27 घंटे तक इनसे कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म करते रहे। बकौल पीड़िता – हमें बार-बार कुछ सूंघा कर बेहोश कर दिया जाता था, जब होश आया तो खुद को भटिंडा रेलवे स्टेशन पर पाया।
बहरहाल आज बारिश, गर्मी और कड़कती सर्दी तक की मार झेल चुके यह लोग आज भी जंतर मंतर पर डटे हैं और न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग से लेकर अन्य तमाम आयोगों और तमाम मंत्रियों तक के दरवाजे पर दस्तक दे चुके लोग आज भी न्याय की आस में हैं। इनको न्याय मिलता है या नहीं यह तो खैर वक्त बताएगा, लेकिन इतना साफ है कि आज भी हमारे देश में बेटियां सुरक्षित नहीं है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं, फास्ट जस्टिज : तुलसी
सुप्रीम कोर्ट के वकील केटीएस तुलसी कहते हैं कि दोषियों को सजा जल्दी और पक्की मिलें तो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर लगाम लग सकती है। वह कहते हैं कि पूरे देश में लगभग 95 हजार रेप केस पैंडिंग पड़े हुए हैं। दोषियों को फांसी की सजा के प्रावधान पर तुलयी कहते हैं कि फांसी तो हत्या के केस में दी जाती हैं, बलात्कार के केस में नहीं। तुलसी केमिकल से नपुंसक बनाने वाली बात को भी सिरे से खारिज करते हुए कहते हैं कि यह मानवता के खिलाफ है।
तुलसी कहते हैं कि मैं खुद 20 साल से एक केस देख रहा हूं, जिसमें कोई आरोप अभी तक तय नहीं हुआ है। इसलिए क्रिमिनल जस्टिज पाने के लिए सिस्टम पर दबाव डालना बेहद जरूरी है। हालांकि इस घटना के बाद न्यायिक प्रक्रिया में दबाव बना है। कुछ बदले हैं। कुछ बदलाव होगा। क्या कानून में बदलाव की जरूरत है ? के सवाल पर तुलसी कहते हैं कानून में बदलाव की आवश्यकता नहीं है, कानून बदलने से कुछ नहीं बदलता। फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं फास्ट जस्टिज चाहिए।
क्या कहते हैं आंकड़े
भले ही मीडिया में महिला शोषण के मामले में यूपी की चर्चा होती हो पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के अनुसार रेप के सबसे ज्यादा मामले बीजेपी शासित मध्यप्रदेश और राजस्थान में सामने आए हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि बलात्कार की दूसरी सबसे ज्यादा घटना वाला प्रदेश राजस्थान में भी भाजपा का शासन है।
यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2013 की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ ओवरआॅल अपराध के मामले में आंध्र प्रदेश सबसे आगे हैं। जबकि इस मामले में दूसरा स्थान उत्तर प्रदेश का आता है। 2013 में मध्य प्रदेश में रेप के 4335 मामले सामने आए, जबकि राजस्थान में 3285 केस दर्ज किए गए। रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में से 10 फीसदी से भी अधिक अपराध यूपी में होते हैं।