बालिका शिक्षा के क्षेत्र में देश भर में मशहूर लखीसराय स्थित बालिका विद्यापीठ के मंत्री डा. कुमार शरतचंद्र की हत्या के पीछे विद्यापीठ प्रबंधन पर स्वामित्व का विवाद ही मूल कारण माना जा रहा है।

अब यादें ही रहीं शेष
अब यादें ही रहीं शेष

विनायक विजेता की रिपोर्ट

गौरतलब है कि शरतचंद्र की सहमति एक इकरारनामे के तहत कुछ वर्ष पूर्व आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन और जहानाबाद से पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू के प्रत्याशी रहे विद्यापीठ कैंपस में ही ‘आम्रपाली इंस्ट्टीयूट ऑफ टेक्नालॉजी’ नामक शैक्षणिक संस्थान की स्थापना की थी।

इस संस्थान की स्थापना और उद्घाटनबिहार के तत्कालीन राज्यपाल देवानंद कुंवर ने किया था जिस अवसर पर मुंगेर के तत्कालीन सांसद ललन सिंह, आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा व अनिता सिंह भी मौजूद थीं।

बाद के दिनों में अनिल शर्मा ने शरत चंद्र की कमेटि के अधिकतर सदस्यों को अपनी ओर मिलाकर शरत चंद्र को मंत्री पद से हटाने की मुहिम चलायी और पदेन मंत्री के हस्ताक्षर से चलने वाले खाते पर रोक लगवाने की कोशिश की पर जब वह इसमें सफल नहीं हुए तो कमेटि ने बहुमत से अनिता सिंह को विद्यापीठ का प्राचार्य मनोनित कर दिया. साथ ही विद्यापीठ के नाम से बैंक में एक नीजी खाता खोलकर विद्यालय का संचालन करने लगे।

गुटबाजी

इस विद्यापीठ की प्राचार्य शरत चंद्र की पुत्री सुजाता शर्मा थी। अनिल शर्मा गुट ने तिकड़म कर इस विद्यालय को सीबीएसइ द्वारा मिली संबद्धता का नवीकरण भी नहीं होने दिया।

शरतचंद्र द्वारा सीबीएसई को सौंपे गए कागजात की जांच करने दिल्ली से सीबीएसइ की एक चार सदस्यीय टीम 4 अगस्त को लखीसराय पहुचंने वाली थी इसी बीच शनिवार की सुबह विद्यापीठ कैंपस में स्थित उनके आवास में ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।

हत्यारों की हत्या करने के अंदाज से यह जाहिर हो रहा है कि हत्यारे पेशेवर हैं और यह हत्या सुपारी देकर करायी गई है चाहे सुपारी देने वाला कोई भी हो। हत्यारे शायद हत्या के वक्त ज्यादा गोलियां नहीं चलाना चाहते थे. उन्हें मालूम था कि कहां गोली मारने से शरतचंद्र की मौत एक ही गोली में हो जाएगी। शायद इसी लिए हत्यारों ने उनकी बार्इं आंख के पास गोली मार एक ही गोली में उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी।

कहां हैं अनिता सिंह? 

इस मामले में संदेह पैदा करने वाली बात यह है कि इस हत्या मामले में अनिल शर्मा सहित नामजद सात लोगों में से एक अनिता सिंह कई दिनों से विद्यालय में नहीं आ रही थीं और न ही उन्होंने छुट्टी लेने की कोई लिखित सूचना विद्यालय प्रबंधन को दी थी।

लखीसराय पुलिस के लिए इस हत्या मामले की जांच एक चुनौती होगी क्योंकि इस मामले में आरोपित सातों लोग रसूख और उंची राजनैतिक पहुंच वाले हैं।

हालांकि उधर लखीसराय के एसपी अशोक कुमार ने बताया कि इस मामले के उद्भेदन के लिए पुलिस की कई टीमें बनायी जा रहीं हैं।

रविवार को सुबह 10 बजे लखीसराय में ही 72 वर्षीय शरतचंद्र का अंतिम संस्कार किया गया।

By Editor


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