विधान सभा की दस सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में एनडीए और यूपीए का मुख्य मुकाबला है। टिकट बंटवारे में एनडीए ने दो महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है और दोनों टिकट की घोषणा होने के पूर्व दूसरी पार्टियों में थीं। राजद गठबंधन ने किसी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया है। भाजपा ने नरकटियागंज से रश्मि वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है तो लोजपा ने परबत्ता से सुहेली मेहता को अपना उम्मीदवार बनाया है।
बिहार ब्यूरो
सुहेली मेहता का राजनीतिक व पारिवारिक पृष्ठभूमि समाजवादी रहा है। इनके पिता तुलसीदास मेहता कई बार विधायक और मंत्री रहे हैं। इनके बड़े भाई आलोक मेहता राजद के समस्तीपुर से सांसद रह चुके हैं। इनके पति डॉ प्रभात बोकारो में पदस्थापित हैं और सुहेली खुद मगध महिला कॉलेज में शिक्षिका हैं। लोकसभा चुनाव में वह भाजपा में शामिल हुई थीं। फिलहाल चुनाव लड़ने की कोई योजना भी नहीं थी। लेकिन परबत्ता के समीकरण के हिसाब से लोजपा को कोई कुशवाहा उम्मीदवार चाहिए था। जदयू के भूमिहार आरएन सिंह के खिलाफ लोजपा को कोई उपयुक्त कुशवाहा उम्मीदवार नहीं मिल रहा था। वैसे स्थिति में भाजपा ही ने अपने कार्यकर्ता को लोजपा में भेज दिया और टिकट भी दिलवाया।
उधर नरकटियागंज से भाजपा उम्मीदवार रश्मि वर्मा का टिकट घोषित होने के तीन घंटे पहले तक दूर-दूर तक भाजपा से कोई संबंध नहीं था। चुनाव समिति की बैठक में कोई दमदार उम्मीदवार पार्टी को नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में विधायक से सांसद बने सतीश चंद्र दुबे ने ही रश्मि के नाम का सुझाव पार्टी नेताओं को दिया। आनन-फानन में चुनाव समिति के सदस्य दूसरे नेताओं से बातचीत करके रश्मि वर्मा को टिकट देने पर सहमत हो गए और नाम की घोषणा कर दी गयी। उल्लेखनीय है कि पिछले जून महीने में रश्मि वर्मा कांग्रेस छोड़कर बड़े तामझाम के साथ जदयू में शामिल हुई थीं। इस मौके पर नीतीश कुमार, आरसीपी सिंह भी मौजूद थे। जदयू ने नरकटियांगज से उनके नाम की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन सीट कांग्रेस के कोटे में चले जाने के कारण उनका पता साफ हो गया और उधर भाजपा वाले टिकट लेकर दरवाजे पर पहुंच गए। 2010 के चुनाव उनके पति आलोक वर्मा कांग्रेस के उम्मीदवार थे और दूसरे स्थान रहे थे। हालांकि चुनाव के बाद उनका देहांत हो गया था।
पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं का दावा करने वाली पार्टियों को अपने दल के उम्मीदवार भी नहीं मिलते हैं। वैसे में साथियों व पड़ोसियों के घर में सेंध लगाकर उम्मीदवार जुगाड़ना किसी के लिए भी चुनौती भरा है और इस चुनौती से एनडीए ने पार पा लिया है।