उर्दू को कुछ लोग एक खास समुदाय से जोड़ने की साजिश करते रहे हैं लेकिन बेबी कुमारी नामक इस छात्रा ने इस भाषा पर लगायी जा रही धार्मिक बंदिशों को तोड़ दिया है.
कामरान गनी
उर्दू प्रेम और शान्ति की भाषा है. जो लोग उर्दू जबान नहीं जानते हैं वे भी इसकी मिठास को महसूस करते हैं. यह उर्दू जबान की मिठास ही है कि आज भी फिल्म जगत में उर्दू का ही बोल-बाला है. अगर आप लोगों के दिलों पर हुकूमत करना चाहते हैं तो आपको उर्दू जबान सीखनी चाहिए.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला की होनेहार छात्रा बेबी कुमारी का. बेबी कुमारी बताती हैं कि जब वह मध्य विधालय में थीं तो उस समय उनके सभी सहपाठी उर्दू पढ़ते थे. उसी समय से उनकी भी इच्छा हुई कि वह इस जुबान को सीखें. बेबी कुमारी ने उर्दू के शिक्षक एम. आर. चिश्ती से मिलीं और तब से उन्होंने उनसे उर्दू लिखना-पढ़ना सिखाना शुरू किया और देखते ही देखते बेबी कुमारी उर्दू साहित्य की पुस्तकें पढ़ने लगीं और जल्द ही उन्होंने उर्दू लिखना भी सीख लिया. बेबी कुमारी कहती हैं कि उर्दू जबान को सीखना बहुत ही आसान है वे मुस्कुराते हुए कहती हैं कि यदि आपको एम. आर. चिश्ती जैसा उस्ताद मिल जाए फिर तो कुछ भी मुश्किल नहीं. ज्ञात रहे कि ये वही एम. आर. चिश्ती हैं जिन्हें 2012 में बिहार प्रार्थना के लिए राज्य सरकार ने प्रुस्कृत किया था. यह प्रार्थना बिहार के सभी स्कूलों में पढ़ाई जाती है.
बेबी कुमारी का ख्याल है कि राज्य सरकार को चाहिए कि वह दसवीं क्लास तक उर्दू को उसी प्रकार अनिवार्य कर दे जिस तरह अंग्रेजी अनिवार्य है यानी दसवीं कक्षा तक हर विधार्ती के लिए उर्दू पढ़ना लाज़मी हो लेकिन कम अंक आने पर उन्हें फेल न किया जाये. इस तरह प्रेम-शान्ति और गंगा-जमनी तहजीब को को बढ़ावा देने वाली इस भाषा का विकास होगा.
बेबी कुमारी को ग़ालिब, मीर, अहमद फराज़, परवीन शाकिर और अपने गुरु एम. आर. चिश्ती की शायरी पसंद है. बेबी से प्रेरणा पाकर उनकी छोटी बहन प्रीति ने भी मैट्रिक में उर्दू भाषा का चयन किया है.
(कामरान गनी भारत में उर्दू नेट जापान के सम्पादक हैं)
کوئی بھی زبان کسی کی ملکیت نہیں ہوتی یہ بےبی کماری نے ثابت کر دیاہے ایک اور زبان جاننے کے لئے بےبی کو ڈھیر ساری مبارکباد