एक रिटार्यड आईपीएस अधिकारी का दावा है कि सूपर-30 का कंसेप्ट उनका है और उन्होंने आनंद कुमार को खुद से अलग इसलिए कर दिया क्योंकि दूसरे इंस्टिच्यूट के सफल छात्रों को आनंद अपना छात्र कह कर मीडिया में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने लगे थे.
विनायक विजेता की रिपोर्ट
गणितज्ञ आनंद की शैक्षणिक योग्यता क्या है उन्होने इसका खुलासा कभी नहीं किया. सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि वह कोई इनकम टैक्स रिटर्न भी नहीं भरते हैं। उनकी एक संस्था रामानुजम मैथमैटिक्स क्लास ही केवल पंजीकृत संस्था है जिसे देश विदेश से भारी राशि डोनेशन के रुप में मिलती है जबकि जिस संस्था सुपर-30 की वजह से उन्हें लोकप्रियता मिली वह अबतक निबंधित नहीं है।
बिहार सरकार ने 2009 में ही ऐसे सभी शैक्षिणिक संस्थानों को निबंधन कराने और आय-व्यय का ब्योरा सौपने संबंधी अधिसूचना जारी की थी। अब सवाल यह उठता है कि क्या आनंद और उनकी अनिबंधित संस्था के लिए कोई कानून नहीं है क्या।
सूपर-30 का कंसेप्ट एक आईपीएस ने दिया
आनंद के सुपर-30 की स्थापना का इतिहास भी काफी चौकाने वाला है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कुछ अनुभवी लोगों के अनुसार वर्ष 2002 में सुपर-30 की परिकल्पना एक शिक्षाविद सह आईपीएस अधिकारी ने की थी। उन्होंने अपनी इस परिकल्पना की चर्चा तब बिहार के कई वरिष्ठ पत्रकारों से भी की थी। पटना से प्रकाशित अंगे्रजी अखबार ‘टाइम्स आफ इंडिया’ में महत्वपूर्ण पद पर कार्य कर चुके एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि ‘उन्हें याद है कि इस अखबार के तत्कालीन संपादक उत्तम सेन गुप्ता’ से औपचारिक मुलाकात करने आए उन आईपीएस अधिकारी से संपादक जी ने आनंद की मुलाकात यह कहकर करायी थी कि ‘यह बहुत ही कुशाग, इनर्जेटिक और गणित का जानकार युवक है इसे अपने साथ और अपनी मुहिम में जोड़िए।’ तब उक्त आईपीएस अधिकारी ने आनंद को अपने साथ जोड़ लिया पर कालांतर में जैसे ही उन्हें यह पता चला कि आनंद दूसरे इंस्टीट्यूट के सफल बच्चों को सुपर-30 का छात्र बता सस्ती लोकप्रियता बटोर रहे हैं तथा उनके साथ तस्वीर खिचवा रहे हैं तो उन्होने आनंद के साथ सुपर-30 से भी नाता तोड़ लिया।
मेरठ में नहीं दे सके व्याख्यान
बाद में ऐसे बच्चें ने उक्त आईपीएस अधिकारी के पास जाकर क्षमा भी मांगी थी। तब इस मामले को मीडिया ने भी प्रमुखता से प्रकाशित किया था कथित गणितज्ञ आनंद के बारे में मेरे द्वारा दी गई्र खबर के बाद मेरठ के एक वरिष्ठ पत्रकार ने मुझे फोन कर बताया कि ‘कुछ वर्ष पूर्व मेरठ के कुछ शिक्षाविद आनंद को मेरठ में एक व्यख्यान के लिए आमंत्रित करना चाह रहे थे पर आनंद ने हवाई जहाज के एक्जेक्युटिव क्लास के आने जाने का टिकट सहित कुछ ऐसी मांगे की जिसका खर्च 2 लाख से उपर हो रहा था। इसके बाद उस कार्यक्रम के कथित आयोजकों ने आनंद को बुलाने के कार्यक्रम को ही स्थगित कर दिया और उनकी जहग जेएनयू, दिल्ली से आए दो विद्वान गणितज्ञों ने छात्रों को टिप्स दी।’ सुपर-30 में पढ़ाने वाले कुछ पूर्ववर्ती शिक्षकों ने भी हमारी खबर पर कमेंट में लिखा है कि ‘आपने जो भी लिखा वह कहीं से भी गलत नहीं है।’ सूत्रों के अनुसार अपने को गणितज्ञ कहने वाले आनंद मोहन भागवत की कृपा से राज्यसभा या फिर बिहार विधान परिषद की सदस्य बनने की जुगत में भी हैं।
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