सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने आदेश में संशोधन के बाद पहली बार रविवार को मुख्मंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर वाला विज्ञापन अखबारों में छपा. इससे पहले अदालत ने सरकारी विज्ञापनों में मुख्यमंत्री की तस्वीर छापने पर रोक लगा दी थी.
अदालत ने तब के आदेश में कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के अलावा किसी की भी तस्वीर न छापी जाये.
लेकिन अदालत ने दो दिन पहले ही अपने निर्देश में संशोधन किया. अदालत ने विज्ञापनों में राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों एवं कैबिनेट मंत्रियों की तस्वीरें भी शामिल करने का आदेश दिया।
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इससे पहले उसने सरकारी विज्ञापनों में केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की तस्वीर प्रकाशित करने का आदेश दिया था, वह भी उनकी अनुमति लेकर ही। पुनर्विचार याचिका दायर करने वालों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम और ओडिशा की सरकारें भी शामिल थीं। याचिकाकर्ताओं की दलील दी थी कि न्यायालय का संबंधित आदेश देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध है। केंद्र सरकार की ओर से खुद एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत में मोर्चा संभाला था और दलील दी थी कि संघीय ढांचे में मुख्यमंत्रियों या केंद्रीय मंत्रियों का स्थान प्रधानमंत्री से कम नहीं है।
अदालत के नये फैसले के बाद पहली बार सीएम नीतीश कुमार की तस्वीर एक साल के बाद अखबारों में पहली बार छपी.