चर्चित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आज नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भारत में नये शासन में सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी है और इसके लिए राजनीतिक नेतृत्व जिम्मेदार है.
अपनी वेबसाइट पर जारी की गयी वार्षिक रिपोर्ट 2015 में एमनेस्टी ने 2014 मई के आम चुनावों को लेकर चुनाव संबंधी हिंसा, सांप्रदायिक झड़पों और कॉरपोरेट परियोजनाओं पर सलाह मशविरे में नाकामी को मुख्य चिंता बताया है.
रिपोर्ट के अनुसार ‘‘मई में आम चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार सत्ता में आयी। सुशासन और विकास का वादा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबी में जी रहे लोगों के लिए वित्तीय सेवा की पहुंच और साफ-स्वच्छता बढ़ाने के प्रति कटिबद्धता दिखाई।’’
एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिकारी लगातार लोगों की निजता और अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा में बढ़ोतरी हुयी तथा भ्रष्टाचार, जाति आधारित भेदभाव, जातिगत हिंसा फैली है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘चुनाव के पहले उत्तर प्रदेश में भड़की सांप्रदायिक घटनाओं से हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव बढ़ा, इसके लिए नेता जिम्मेदार हैं।’’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दिसंबर में, हिंदू समूहों पर कई मुस्लिमों और ईसाइयों को जबरन हिंदू बनाने का आरोप लगा।’’
मानवाधिकार समूह ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की आलोचना को भी सामने रखा जिसमें इस कवायद को हजारों भारतीयों के लिए नया ‘खतरा’ बताया गया है।