पटना के नगरनिगम कमिशनर कुलदीप नारायण का निलंबन मांझी सरकार के गले क फांस बनता जा रहा है. इसे सरकार में बैठे टॉप लेवल के हाकिम भी स्वीकार कर रहे हैं. इससे सरकार कटघरे में है .
नौकरशाही डेस्क
जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं, उससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकार निगम कमिश्नर का निलंबन वापस भी ले ले.
नौकरशाही डॉट इन को कुछ विश्वस्त सूत्रों से पत चला है कि कुलदीप के निलबंन के लिए कुछ खास लॉबी सक्रिय थी. इनमें कुछ खास बिल्डर्स, राजनेता तक शामिल हैं. निलंबन के पहले एक नेता के कार्यालय मे कई बिल्डर्स के नुमाइंदों के संग बंद कमरे में चर्चा हुई. इस चर्चे के दौरान निलंबन का समय और दिन का भी ख्याल रखा गया. शुक्रवार को जब निलंबन हुआ तो इसकी औपचारिक घोषणा में भी कई घंटे की देरी की गयी. यह देरी कई तरह के विवादों से बचने और अदालत के हस्तक्षेप के भय से की गयी.
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हालांकि सरकार ने निलंबन की औपचारिक घोषणा तो कर दी है लेकिन इसके बाद आईएएस एसोसिएशन और बिहार प्रसाशनिक सेवा संघ ने भी आला हाकिमों को सामने अपनी मुखालफत दर्ज करा दी है. दूसरी तरफ सरकार को भी यह एहसास सता रहा है कि निलंबन का फैसला उचित नहीं ता.
सरकार के सामने ये महत्वपूर्ण परेशानिया हैं.
1. कुलदीप नारायण को अकर्मण्यता की बुनियाद पर निलंबित किया गया. किसी आईएएस अफसर को महज इस बिना पर निलंबित कर दिया जाये कि वह काम नहीं करता, यह तर्क काफी कमजोर है. चूंकि सरकार कुलदीप का ट्रांस्फर नहीं कर सकती ती क्योंकि अदालत ने इस पर रोक लगा रखी थी, ऐसा में यह कदम उठाया गया. लेकिन जब मामला अदालत में जायेगा तो सरकार कि काफी फजीहत होगी.
- शुक्रवार को जब निलंबन की खबर अदालत तक पहुंची तो उसे झटका लगा. अदलात को लगा कि यो तो अदालत से टकराव का मामला है. अदालत ने त्तकाल इस पर सख्त तेवर अपनाया लेकिन उस समय उसके पास तकनीकी रूप से इस पर कुछ भी करने का कोई आदार नहीं था क्योंकि अदालत खुले रहने तक सरकार ने निलंबन को टाल रखा था. और निलंबन का नोटिफिकेशन शाम सात बजे के बाद जारी किया गया.
3. अब जब सोमवार को अदालत लगेगी तो अदालत इस मामले का संज्ञान लेगी. अदालत की बेंच का तर्क है कि निलंबन के पहले सरकार को अदालत से मश्विरा करना चाहिए ता क्योंकि अदालत ने आयुक्त को हटाये जाने पर रोक लगा रखी है. ऐसे में अदालत सोमवार को इस पर कड़ी टिप्पणी कर सकती है
4. खुद निलंबित कमिश्नर कुलदीप नारायण इस मामले में चुप नहीं रहने वाले हैं. वह इस फैसले के खिलाफ वह हर कोशिश करेंगे जो नियमानुसार कर सकते हैं. वह अदालत में चुनौती भी देंगे. चूंकि सरकार का निलंबन के प्रति जो तर्क है वह बहुत सश्कत नहीं है. ऐसे में सरकार का कठघरे में आना लाजिमी है.
- पटना नगर निगम का मेयर गुट और मेयर के खिलाफ का गुट इस ममले में आमने सामने है. मेयर गुट खुश है, जश्न मना रहा है तो मुखालिफ गुट आहत है. लेकिन निगम पार्षदों की भूमिका इस पूरे प्रकरण में छोटे प्यादों जैसी है. इसके पीछे सश्कत लॉबी है. लेकिन जिस जल्दबाजी में ये कार्रवाई की गयी है, अब उसे भी लगने लगा है कि निलंबन की बुनियाद कमजोर है.