पूर्व नौकरशाह संजीव सभलोक ने कहा कि केजरीवाल को अनशन का मूर्खतापूर्ण ड्रामा बंद करना चाहिए क्योंकि वह भारत को 60 के दशक में लौटाना चाहते हैं.
केजरीवाल बिजली और पानी के बढ़े बिल के खिलाफ अनशन पर बैठे हैं.
संजीव 1982 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं और वह इस्तीफा देकर ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट कर गये हैं. अरविंद केजरीवाल भी एक पूर्व नौकरशाह हैं और 1992 बैचे के आईआरएस हैं.
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संजीव को जिस बात पर ऐतराज है वह ये कि एसी मांगें सुशासन के लिए नहीं है बल्कि यह तो मुफ्तखोरी की आदत को बढ़ावा देने वाली है. संजीव ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि इस तरह की समाजवादी सोच भारत के हित में नहीं है. अगर बिजली महंगी है तो बिल को फिक्स किया जा सकता है.
संजीव लिखते हैं कि केजरीवाल भारत को 1960 के दशक में वापस ले जाना चाहते हैं- यह एक बेकार समाजवादी सोच है. संजीव नेहरू की समाजवादी नीति के बड़े आलोचकों में से एक हैं और उन्होंने इस विषय पर एक पुस्तक भी लिखी है- ‘ब्रेकिंग फ्री ऑफ नेहरू: लेट्स अनलीश इंडिया’.
हालांकि संजीव, केजरीवाल के इस विचार से सहमत हैं कि सत्ता का विकेंद्रीकरण होना चाहिए. उनका मानना है कि भारत जैसे विशाल देश के सफल संचालन के लिए विकेंद्रीकरण बहुत जरूरी है.