जदयू के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने कहा है कि गुजरात के राजकोट में एक दलित युवक की पीट-पीट कर हत्या कर देने की घटना से मैं बहुत मर्माहत हूँ। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें दलित व्यक्ति की पिटाई की जा रही है। साथ उसकी पत्नी की भी बेरहमी से पिटाई की गयी है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का गुजरात और आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी का गुजरात बस लगातार दलितों के साथ हो रहे अत्याचार और प्रताड़ना का उदाहरण बन कर रह जायेगा। कभी ऊना, कभी राजकोट तो कभी कहीं और। दलितों के खिलाफ उत्पीड़न की स्थिति आज भयावह रूप लेती जा रही है। यह एक बहुत ही चिंतनीय प्रश्न है, इसपर सभी को विचार करनें की जरूरत है।
लगातार हो रही ऐसी घटनाएं तमाम दलित वर्ग, दलित चिंतकों, राजनेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए खतरे की घंटी है।
इसलिये देश के केंद्र सरकार में अनुसूचित जाति/ जनजाति के जितने भी मंत्री और सांसद हैं। उन्हें इस मामले पर कड़ा फैसला लेने की जरूरत है।
श्याम रजक ने पूछा कि क्या हम लगातार दलितों की हो रही हत्या, उनकी पिटाई और उत्पीड़न पर बस चुप चाप मूकदर्शक बनकर बैठे रहे।
यहां तक कि इस तरह की घटनाएं बढ़ने पर भी केंद्र सरकार अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार अधिनियम कानून पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले रही है।
तो हम अब इसे बर्दास्त नहीं करेंगे क्योंकि पानी नाक से उपर चला गया है। अब चुप-चाप बैठने से कुछ नहीं होगा, जल्द से जल्द इसपर कोई सख्त कदम उठानें की जरूरत है।
रजक ने कहा कि मेरी भारत सरकार से मेरी विनम्रतापूर्वक पुनः आग्रह होगी कि अनुसूचित जाति/जनजाति के हितों की रक्षा के लिए और इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए जल्द से जल्द अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार अधिनियम कानून 1989 को अध्यादेश लाकर संविधान के नौवीं अनुसूची में शामिल करें।
अन्यथा इस तरह की घटनाओं से दलित वर्ग के अंदर जो गुस्सा और आक्रोश की भावना पैदा हो रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो, बहुत जल्द इन भावनाओं का ज्वालामुखी विस्फोट होगा, जिसका खामियाजा सबको भुगतना पड़ेगा।