बेंगलुरु की निर्भीक , धर्मनिरपेक्ष , आमलोगों का पक्ष लेने वाली व्यवस्था विरोधी पत्रकार गौरी लंकेश की नृशंस हत्या की रंगकर्मियों-कलाकारों का साझा मंच ‘हिंसा के विरुद्ध संस्कृतिकर्मी ‘ एक फासिस्ट कार्रवाई मानता है।
गौरी लंकेश पत्रकारिता की जनपक्षधर विरासत को आगे बढाने के साथ -साथ संविधानप्रदत्त मूल्यों की रक्षा को लेकर प्रतिबद्ध पत्रकार थीं। साम्प्रदायिक ताकतों के विरुद्ध स्पष्ट स्टैंड लेने के कारण वे काफी लोकप्रिय थीं ।
गौरी लंकेश देश के उन दुर्लभ पत्रकारों में थी जिन्होने भय व धमकियों के बावजूद संघी ताकतों के सामने झुकने से इनकार कर दिया। अपनी साप्ताहिक कन्नड़ पत्रिका ‘लंकेश पत्रिके ‘ के माध्यम से वे केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा बोले जा रहे निरंतर झूठ और ‘ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ द्वारा फैलाये जा रहे धार्मिक उन्माद के खिलाफ लिख रही थी। उनके द्वारा लिखा गया अंतिम सम्पादकीय ( जो अब अनुदित होकर हिंदी में भी आ गया है) इसका साफ सबूत है।
साझा मंच ‘ हिंसा के विरुद्ध संस्कृतिकर्मी’ गौरी लंकेश की हत्या एक एक राजनीतिक हत्या मानता है। पिछले तीन सालों में सृजनशील लोगों की ज़ुबान बंद करने के नापाक प्रयासों को दक्षिणपंथी विचारधारा और सत्ताधारियों का प्रश्रय मिलता रहा है।
पूरे देश भर से उनकी हत्या के खिलाफ व्यापक प्रतिक्रिया आ रही है वो बताता है लेखकों , कलाकारों, बुद्धिजीवियों , रचनाकारों में नरेंद्र मोदी के सत्तारोहण ने किस तरह चिंता बढा दी है।
कर्नाटक के धारवाड़ के एम.एम कलबुर्गी, महाराष्ट्र कोल्हापुर के गोविंद पानसारे एवम पुणे में नरेंद्र दाभोलकर की मर्माहत कर देने वाली हत्या के जिम्मेवार लोगों को आज तक सजा नहीं दिलवाई जा सकी है। न्याय चाहने वाले ताकतों को इससे काफी निराशा हुई है।
रंगकर्मियों-कलाकारों का साझा मंच ‘हिंसा के विरुद्ध संस्कृतिकर्मी ‘ ये मांग करती है कि वो गौरी लंकेश के हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार तथा इनका समर्थन करने वाले संगठनों की पहचान कर उनपर कड़ी कार्रवाई की जाए।
साझा मंच सभी रंगकर्मियों, कलाकारों से तथा सृजन से जुड़े सभी लोगों से भी अपील करता है इस जघन्य हत्या के विरुद्ध एकजुट होकर प्रतिवाद करें ।
अनीश अंकुर, कुणाल, मृत्युंजय शर्मा, राजन कुमार सिंह, जयप्रकाश, विनीत राय, रमेश सिंह, उदय कुमार, नवाब आलम, सुधीर संकल्प सिकंदर-ए-आज़म, गौतम गुलाल, मनोज कुमार की तरफ से प्रेषित साझा बयान.