इंटर मेधा घोटाले में सह अभियुक्त बनाई गईं गंगा देवी महिला कॉलेज की प्राचार्य (प्रभारी) ऊषा सिन्हा की मैट्रिक से लेकर डाक्टरेट (पीएचडी) तक के शैक्षणिक योग्यता वाले र्सिटफिकेट की जांच कराई जाएगी।
विनायक विजेता
मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मो. इश्तेयाक ने फोन पर हुए बातचीत में बताया कि बुधवार को विश्वविद्यालय की कोर कमेटि की एक बैठक बुलाई गई है जिसमें इसपर चर्चा भी होगी और निर्णय भी लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उषा सिन्हा के सर्टिफिकेटों के सत्यापन के लिए संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय से पत्राचार कर जानकारी मांगी जाएगी और अगर इन सर्टिफिकेटों में कहीं भी गड़बड़ी पाई जाएगी तो विश्वविद्यालय प्रशासन उषा सिन्हा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
गौरतलब है कि ऊषा सिन्हा 2010 से 2015 तक हिलसा विधानसभा क्षेत्र से जदयू की विधायक भी रह चुकी हैं पर 2015 के विधानसभा चुनाव में हिलसा सीट राजद के कोटे में जाने के कारण वह टिकट से वंचित कर दी गईं। उन्होंने इस वर्ष विधान परिषद् में जाने के लिए भी एड़ी चोटी का जोर लगाया पर उन्हें सफलता नहीं मिल सकी।
ऊषा सिन्हा के सर्टिफिकेट में अगर किसी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो उनपर दोहरा गाज गिर सकता है। चुनाव आयोग भी उन्हें गलत हलफनामा दायर करने के आरोप में उन्हें पूर्व विधायक की मिलने वाली सुविधा और पेशन से वंचित करने का फरमान जारी कर सकता है।
ऊषा सिन्हा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष व मेधा घोटाले के प्रमुख आरोपी लालकेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी हैं। दोनों पति-पत्नी अभी गिरफ्तारी के डर से फरार हैं। कॉलेज से छुट्टी लेकर फरार हो जाने वाली उषा सिन्हा की जगह प्रो. कंचन चखैयार को अगले आदेश तक प्राचार्य पद संभालने का आदेश मगध विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोमवार को ही जारी कर दिया है।