सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा के सरकारी घर पर आने वालों की सूची सार्वजनिक होने से खलबली मची है.लेकिन यहां याद दिलाना जरूरी है कि सिन्हा जब आरपीएफ के महानिदेशक थे तो भी उन पर कई गंभीर आरोप लगे.
सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा 1974 बैच के अधिकारी हैं और अगले दो महीने बाद रिटायर करने वाले हैं.
फाइनेनसियल एक्सप्रेस के मुताबिक सिन्हा के दिल्ली स्थित आवास पर कार्पोरेट घरानों के कई ऐसे नामचीन आते जाते थे जो कोयला ब्लॉक आवंटन घोटालों के आरोपी रहे हैं. लेकिन अखबार ने जो सबसे चौंकाने वाली बात लिखी है उसके मुताबिक सिन्हा से मुलाकात के बाद कई कार्पोरेट घरानों पर चल रहे मामलों में उन्हें राहत मिल गयी.
कोल ब्लॉक आवंटन मामले में, 27 मार्च 2014 को, सीबीआई ने दायर एक एफआईआर में नागपुर की एक कम्पनी एएमआर आइरन ऐंड स्टील के देवेंद्र को आरोपी बनाया था. उस कम्पनी को पांच कोल ब्लॉक आवंटित किये गये थे. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सीबीआई ने अप्रैल में उस कम्पनी के कमसे कम दो केसों को बंद करने की सिफारिस कर दी थी.
इसी प्रकार एक अन्य मामले में सुबोध कांत सहाय का अखबार ने उल्लेख किया है. अखबार के मुताबिक सहाय 13 फरवरी 2014 को सीबीआई निदेशक के सरकारी आवास पर गये थे. सहाय जब मंत्री पर्यटन मंत्री थे तो उन पर आरोप लगा था कि रावनवारा उत्तर कोल ब्लॉक उस कम्पनी को आवंटित किया गया था जिसके लिए उनके ( सुबोध कांत सहाय के) भाई सुधीर कुमार सहाय काम करते थे.
लेकिन बाद में इस मामले में न तो सुबोध कांत सहाय और न नहीं उनके भाई सुधीर कुमार सहाय का नाम इस सीबीआई की एफआईआर में शामलि किया गया.
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में ऐसे ही कई ट्रेंड की ओर इशारा किया है जो यह बताता है कि सीबीआई निदेशक से मुलाकात के बाद कैसे कई लोगों के ऊपर लगे आरोप और उनके ऊपर दर्ज मामलों से उनके नाम हट गये या हटा दिये गये.
यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि सीबीआई के निदेशक का पद ग्रहण करने से पहले जब रंजीत सिन्हा आरपीएफ के महानिदेशक थे तो उनके खिलाफ किसी खास कर्मी को हद से ज्यादा सपोर्ट करने के आरोप लगे थे. इन मामलों में जांच भी की गयी थी.