फौज में नये रंगरूटों के साथ आमानवीय और जानवरों जैसा व्यवहार तो आम बात है ऐसे में पटना हाईकोर्ट ने सिर्फ चड्डी पर लिखित परीक्षा लेने की उसकी करतूत को गंभीरता से ले लिया है.
यह वाक्या बिहार के मुजफ्फरपुर का है. 28 तारीख को एक अखबार ने बाहरी कपड़े उतरवा कर सिर्फ चड्डी में लिखित परीक्षा लेने वाली तस्वीर छाप दी उसके बाद पटना हाईकोर्ट ने इस खबर को ही पीआईएल बनाते हुए संज्ञान ले लिया.
मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने रक्षा सचिव को नोटिस भेजा है। वही रक्षा मंत्रालय ने आर्मी चीफ से इस मामले पर सफाई मांगी है.
कोर्ट के मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जज अंजना मिश्रा की बेंच ने संज्ञान लेते हुए कहा, “100 किमी तो क्या, अगर हाईकोर्ट से 500 किमी दूर भी ऐसी अमानवीय हरकत की तस्वीर दिखेगी तो भी भी हाईकोर्ट जरूर संज्ञान लेगा।”
सोमवार को वकील दीनू कुमार ने कहा कि यह मानवीय मर्यादा और मानवाधिकार का हनन तो है ही, बेरोजगारी का मजाक उड़ाया जाना भी है.
गौरतलब है कि सेना में नये रंगरूटों की बहाली की परीक्षा और ट्रेनिंग के दौरान अकसर शारीरिक प्रताड़ना, मानसिक टार्चर की शिकायतें की जाती हैं. इस कारण बड़ी संख्या में युवा या तो फौज में जाना ही नहीं चाहते या जाते भी हैं तो ट्रैनिंग छोड़ कर घर लौट आते हैं.
ऐसे में पटना हाईकोर्ट ने इस मामले का संज्ञान ले कर सेना के अफसरों के तानाशाही रवैये पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है.